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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी वातव्याध्याधिकार - - लेह संख्या प्रयोग नाम प्रधान गुण संख्या प्रयोग-नाम प्रधान गुण १०९८ खजूरासव राजयक्ष्मा, शोथ, ग्रहणी, १३९ अगस्त्थहरीतकीलेह क्षय, खांसी, ज्वर अर्श श्वास, हिचकी, ग्रहणी १०९९ , हैजा, हृद्रोग, खांसी, आदि नाशक, रसायन तृषा, हिचकी, प्रमेह, १४४ अमृतप्राश्यावलेह रक्तपित्त,क्षय, तृष्णा, विषमज्वर, पाण्डु छर्दी, ज्वर, मूत्रकृछ, २७५ अग्नि रस क्षय, खांसी ५७२ एलादि मंथ यक्ष्मा, शूल, पांड,भगन्दर ३२६ अमृतेश्वर राजयदमा ७७५ ककुभ लेह क्षय, खांसी, ३४७ अश्वत्थवल्कलादिलोह ,, ८१६ कुमारी पाक जीर्णज्वर, क्षय, ताप, | श्वास, खांसी, प्रदरादि ९४२ कनकसिन्दूर रस क्षय, सन्निपात, वात गुल्म, शूल १०८२ खण्डपिप्पली क्षय, कास, तृष्णा, ९४५ कनकसुन्दर रस राजयक्ष्मा, शूल, गुल्म, पाण्डु, रक्तपित्त, कफ सन्निपात घृत ९६९ कल्याणसुन्दराभ्र यक्ष्मा, क्षय,शोष,श्वास, १५९ अजापश्चक घृत क्षय, श्वास, खांसी शोथ, कृशता आदि ८२० फणादि धृत राजयक्ष्मा ९७२ फाञ्चनाभक्षय, खांसी, कफपित्त, १०९३ खजूरादि घृत स्वर मंग, खांसी, श्वास, प्रमेह ९९६ कालवञ्चक राज यक्ष्मा आसव १००३ कालान्तक रस , ८९७ कुष्माण्डासव धातुक्षय, मंदाग्नि, प्रमेह, । १०२२ कुसुदेश्वर यक्ष्मा, ज्वरादि पांडु १०२३ , ४६ वातव्याध्याधिकार कषाय चूर्ण १२ अमृतादि काथ समस्त बात-रोग ५३ अजमोदादि हृदय, कोग्य, कण्ठ और ३८ अश्वगन्धादि गण वायु नाशक उदरस्थवायु ५४५ एरण्डादि काथ धनुर्वात ६८ अमृत प्राश कम्प, शिर घूमना, दाह, ६२० कपिकच्छादि पक्षाघात, शिरोरोग,अर्दित रक्तपित्त राजयक्ष्मा ED For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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