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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी ३७४ मिश्राधिकार ३७ मिश्राधिकार संख्या प्रयोग-नाम प्रधान गुण सख्या प्रयोग-नाम प्रधान गुण (क) योगवाही प्रयोग (ङ) धातु, उपधातु, रसोपरस २३० अगन्धखर्परपर्पटी अनुपान भेद से अनेकरोग २९३ अभ्रकशोधन २३४ अग्निकुमार रस(२) , , , २६७ ,, भस्म २५८ , ,(२६), " " | ३०३ ,, , के गुण ३१३ अमरसुन्दर, , , , ३०४ ,, निश्चन्द्रीकरण ३४४ अश्वकंचुकी,, , , , ३०५ ,, की नित्योपयोगी भस्म ३४५ , , रसानुपान ३०६ मृतोत्थापनाभ्रक भस्म ३४६ " , " ३०७ सत्व प्रधान अभ्रक भस्म ३४८ अश्विनीकुमाररस अनुपान भेद से अनेकरोग ३०८ अभ्रक के अनुपान ४४६ आरोग्यसागर रस , , ३११ अभ्रक विकार शान्ति ५१८ उदय भास्कर , , , ३४९ अष्टधातु निरूपण ५३८ उमाशम्भु रस , ३५० अष्ट महारस ७१७ कुंकुमादि चूर्ण , ३५३ अष्टादश रस संस्कार ९७४ कान्तरसायन : ३५६ अष्टावुपरस ९७५ कान्तलोह , , , १०५१ कांस्य भस्म ११०७ खोटाभिध रस , , ११०४ खर्पर मारण (ख) कल्प ११०६ , सत्व ६७ अमलतास के कल्प (च) विविध ४५६ इक्ष्वाकुके , ६६ अमलतासरखने ३०६ अभ्रक कल्प की विधि (ग) स्वेद रोधक ५४१ ऋतुहरीतकी प्रत्येक ऋतुमें हरीतकी सेवनविधि ५२७ उद्धृलन रस अधिक पसीना आना । | ५९१ अङ्गमर्द प्रशमन } बन्द करता है बदन टूटना महाकषाय ) (घ) वायु शोधक ६१० कण्टक पश्चमूल २१३ अष्टगन्ध धूप ८८४ कुसुम्भ तैल सर्वदोष प्रकोपकारक For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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