SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आंकारादि-अवलेह (१३९) अथाकाराद्यवलेह प्रकरणम् [४०३] आमलकाचवलेहः (१) मरिचं कुडवोन्मानं पिप्पली द्विपलोन्मिता ! (र. र.,ग. नि. ज्वरा) सलिलस्याढकं दत्वा सर्वमेकत्र कारयेत् ॥ स्विनमामलकं पिष्ट्वा द्राक्षाशुंठीसमन्वितम् । विपचेन्मृण्मये पात्रे दारुदा प्रचालयेत् ! मधुना लेहयेन्मूर्छाकासश्वासोपशान्तये ॥ चूर्णान्येषां क्षिपेत्तत्र घनीभूतेऽवतारिते ॥ ___ स्विन्न (उसीजे हुवे) आमले, दाख, और सोंठ | धान्यकं जीरकं पथ्यां चित्रकं मस्तकत्वचम समान भाग लेकर पीस कर शहद में मिलाकर घृहज्जीरकमप्यत्र ग्रन्थिकं नागकेशरम् ॥ चाटने से मूर्छा, खांसी और श्वासका नाश होता है। [४०४] आमलक्यवलेहः (२)(यो. र. पांडु. एलाबीज लवङ्गश्च पृथग्जाती पलम्पलम् । सिद्धे शीते प्रदद्याच्च मधुनः कुडवद्वयम् ।। रसमामलकानां तु संशुद्धं यन्त्रपीडितम् । द्रोणं पचेच्च मृद्वनौ तत्रेमानि प्रदापयेत् ॥ भक्षयेद्भोजनादवाक्पलमात्रमिदं नरः ।। चूर्णितं पिप्पलीप्रस्थं मधुकं द्विपलं तथा । अथवा नियतं नात्र मात्रां खादेद्यथानलम् ।। प्रस्थं गोस्तनिकायाच दाक्षायाः किल पेषितम् मानवः सेवनादस्य बाजीव सुरते भवेत् । भृङ्गवेरपले द्वे तु तुगाक्षीर्याः पलद्धयम् । समर्थो बलवान्पुष्टो नित्यं स स्यानिरामयः।। तुलाध शर्करायाश्च घनीभूतं समुद्धरेत् ॥ | ग्रहणीं नाशयेदेव क्षयं श्वासमरोचकम् ॥ मधुप्रस्थसमायुक्तं लेहयेत्पलसंमितम् ।। अम्लपित्तं महाश्वासं रक्तपित्तश्च पांडुताम् ॥ हलीमकं कामलां च पांडुत्वं चापकर्षति ॥ पक्के आमों का रस ३२ सेर, चीनी ४ सेर, यन्त्र द्वारा निकाला हुआ आमले का स्वच्छ | घी २ सेर, सोंठ आधा सेर, कालीमिर्च २० तोला, रस ३२ सेर लेकर उसमें पीपल का चूर्ण १ सेर पीपल १० तोला और जल ८ सेर लेकर चूर्ण | योग्य औषधियों का वर्ण करके सब को एकत्र १० तोला, मुलैठी, मुनक्का (निर्बीज) और किशमिश का कल्क (पिसी हुई) १ सेर अदरक और बंस मिलाकर मिट्टी के बर्तन में पकांवे और लकड़ी की लोचन १०-१० तोला और खांड २५० तोला | करछली से चलाता रहे । जब गाढ़ा हो जाय तो मिलाकर मन्दाग्नि पर पकावे । जब गाढ़ा हो उतार कर उस में इन चीजों का चूर्ण मिलावे । जाय तो उतार कर ठण्डा होने पर उसमें २ सेर | धनिया, जीरा, हरे, नागरमोथा, चीता, दारशहद मिलावे । | चीनी, बड़ा जीरा,पीपलामूल, नागकेसर, इलायचीके इसे ५ तोला मात्रा में सेवन करने से हलीमक, | बीज, लवंग और जावित्री ५---५ तोला । इन चीजों कामला और पांडु का नाश होता है। | को मिलाने के बाद ठण्डा होने पर उसमें १ सेर [४०५] आम्रपाकः (भा. प्र. उ. खं. ३) शहद मिलावे । इसे भोजन से पहिले ५ तोला या पक्कामस्य रसद्रोणे सितामाठकसम्मिताम् । | अग्नि बलानुसार उचित मात्रा से सेवन करना घूतं भस्थमितं दद्यात्रागरस्य पलाष्टकम् ॥ चाहिये। यह अत्यन्त वाजीकर, पौष्टिक, बलदायक, For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy