SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 483
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi नीचेना चरमांतथी उपरना चरमांतमा जाय ? [उ.] हे गौतम! हा, परमाणु पुद्गल एक समये लोकना पूर्व चरमान्तथी पश्चिम व्याख्या चरमांवमा, यावन-नीचेना घरमांतथी उपरना चरमांतमा जाय. ॥ ५८५ ।। १६ शतके प्रज्ञप्ति पुरिसे गंभंते ! वासं वामति ? नो वासं वामतीति ? इत्थं वा पायं वा पाहुं वा ऊ वा आउद्यावेमाणे वा प-18| उद्देशः८ ॥१४०९॥ १४.९॥ सारेमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयना ! जावं च ण से पुरिसे वासं वासति वासं नो वासतीति हत्थं वा जाच ऊर वा आउट्टावेति वा पसारेति या तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे (सूत्रं ५८६)॥ प्र०] हे भगवन । 'वरसाद बरसे के नथी बरसतो'ए [जाणवाने ] माटे कोई पुरुष पोतानो हाथ, पग, बाहु, के उरु संकोचे के पसारे बो ते पुरुषने केटली क्रिया लागे ? [उ०] हे गौतम ! 'बरसाद बरसे के के नथी वरसतो'ए जाणवाने माटे जे पुरुष पोतानो हाथ, यावत्-उरु संकोचे के पसारे ते पुरुषने कायिकी वगेरे पांचे क्रियाओ लागे. ॥ ५८६ ॥ का देवे णं भंते। महडिए जाच महेमक्खे लोगते ठिच्चा पभू अलोगसि हत्थं वा आच ऊरं वा आउंटावेत्तए या | पसारेत्तए वा !, णो तिणढे समढे, से केणटेणं भंते ! एवं बुदइ देवे णं महड्डीए जाव लोगते ठिच्चा णो पभू अलो. है। गंसि हत्थं वा जाय पमारेत्तए चा?, गोयमा! जीवाणं आहारोबचिया पोग्गला बोंदिचिया पोग्गला कलेवरचिया पोग्गला पोग्गलामेव पप्प जीवाण य अजीवाण य गतिपरियाए आहिजइ, अलोए ण नेवस्थि जीवा नेवत्थि पोग्गला से तेण?णं जाच पसारेत्तए वा ।। सेवं भंते ! २त्ति ॥ (सूत्रं ५८७ ) ॥ १६-८॥ [प्र.] हे भगवन् ! मोटी ऋद्धिवालो यावत्-मोटा सुखवाळो देव लोकांतमा रहीने अलोकमां पोताना हाथने, यावत्-उरुने | For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy