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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir प्रवामिः १३१९॥ BABPM अवाहाणं सुंभुत्तराणं घाताए वहाए उच्छावणयाए भासीकरणयाए, जंपिय अज्जो! गोसाले मंस्खलिपुत्ते हालाह-II लाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंवकूणगहत्थगए मजपाणं पियमाणे अभिक्खणं जाव अंजलिकम्मं करेमाणे १५ विहरह, लस्सवि य ण बनस्स पच्छादणट्ठयाए इमाइं अट्ठ चरिमाइं पन्नवेति, तंजहा-चरिमे पाणे चरिमे गेये उमेशा चरिमे नहे चरिमे अंजलिकम्म चरिमे पोक्खलसंबद्दए महामेहे चरिमे सेयणए गंधहस्थी चरिमे महासिलाकंटए संगामे अहं च ण इमीसे ओसप्पिणीए समाए चउवीसाए तित्थकराणं चरिमे तित्थकरे सिज्झिस्सं जाव अंतं करेस्संति, जंपि य अजो! गोसाले मखलिपुत्ते सीयलएणं महियापाणएण आयंचणिउदएणं गायाई परिसिंच. माणे विहरह तस्सवि य णं वनस्स पच्छादणट्ठयाए इमाई चत्तारि पाणगाई पनवेति, से किं तं पाणए ?, पाणए चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-गोपुट्ठए हस्थमदियए आयवतत्तए सिलापम्भट्ठए, सेत्तं पाणए, | 'हे आर्यो।' एम कहीने श्रमण भगवान् महावीरे श्रमण निर्ग्रन्थोने आमंत्रीने ए प्रमाणे कयु के हे आर्यों! मंखलिपुत्र गोशालके मारो वध करवा माटे शरीरथकी तेजोलेश्या काढी हती, ते आ प्रमाणे-१ अंग, २ बंग, ३ मगध, ४ मलय, ५ मालक, ६ अच्छ, ७ वत्स, ८ कौत्स, ९ पाट, १० लाट, ११ वन, १२ मौली, १३ काशी, १४ कोशल, १५ अबाध अने १६ संभुक्तर|ए सोळ देशनो घात करवा माटे, वध करवा माटे, उच्छेदन करवा माटे, भस करवा माटे समर्थ हती, वळी हे आर्यों मखलिपुत्र गोशालक हालाहला कुंभारणना कुंमकारपणमां आम्रफल हाथमा ग्रहण करी मद्यपान करतो, वारंवार यावत्-अंजलिकर्म करतो विहरे छे ते अवद्य-दोषने प्रच्छादन-ढांकवा माटे आ आठ चरम-छेल्ली वस्तु कहे . ते आ प्रमाणे-१ चरम पान, २ चरम गान, For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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