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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir व्याख्या प्रति ॥१३७३॥ RECRACHNORAN भासति, से तेणढणं जाव भासति, सके णं भंते ! देविंदे देवराया किं भवसिद्धीए अभवसि सम्मविट्ठीए एवं | जहा मोउद्देसए सणकुमारो जाव नो अचरिमे ॥ (सूत्रं ५६९)। १६ शतके [.] हे भगवन् ! शक देवेन्द्र देवराज धुं सत्यवादी के मिथ्यावादी छे ? [उ०] हे गौतम! ते सत्यवादी छे पण मिथ्या-IX | उद्देश २ ही वादी नथी. [प्र.] हे भगवन् ! शक देवेन्द्र देवराज सत्यभाषा बोले , मृषा भाषा बोले छे, सत्यमृषा भाषा बोले के असत्या| मषा भाषा बोले के ? [उ.] हे गौतम ! ते सत्व भाषा बोले छे, यावत्-असत्यामृषा भाषा पण बोले छे. [प्र.] हे भगवन् ! शक देवेन्द्र देवराज सावध (पापयुक्त) भाषा बोले के निरवध (पापरहित) भाषा बोले? [उ०] हे गौतम! ते सावध अने निस्वद्य बसे माषा बोले. [प्र. हे मगवन् ! तेनुं शुं कारण के शक सावध अने निरवद्य ए बने भाषा चोले[उ.] हे गौतम । शक देवेंद्र देवराज ज्यारे सूक्ष्म काय-हस्त अथवा वस्त्र बडे मुख ढाक्या बिना बोले त्यारे ते सावध भाषा बोले छे अने मुख ढांकीने बोले त्यारे ते निरवद्य भाषा बोले छे, माटे ते हेतुथी ते शक्र सावध अने निरवध पन्ने भाषा बोले छे. [म०] हे भगवन् ! ते शक्र देवेन्द्र देवराज भत्रसिद्धिक छे, अमरसिद्धिक छे, सम्पग्रष्टि छ, [के मिथ्यारष्टि छे!][उ.] जेम वीजा शतकना प्रथम उद्देश्चकमा सनस्कुमार माटे का छे म अहिं पण जाणवू. अने ते यावत् ,-'अचरम नबी ए पाठ सुधी कडेचं. ॥ ५६९ ॥ जीवाणं भंते ! किं चेयकता कम्मा कति अचेयकडा कम्मा कलंति?, गोयमा! जीवाणं चेयकडा कम्मा कञ्चति नो अचेयकता कम्मा कजंति, से केण. भंसे! एवं बुखा जाव कति ?, गोयमा! जीवाणं आहारोषचिया पोग्गला घोंदिचिया पोग्गला कलेवरचिया पोग्गला,महा २ णं से पोग्गला परिणमंति नथि अचेयकमा S5EASEX For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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