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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir व्याख्या १५ ॥१५॥ ॥१३५॥ CEBOGGE www.kobatirth.org तस्थविणं सस्थवजो जाब किच्चा छडीए समाए पुरवीए उकोसकालाडियंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उवजिदिति, से णं तभोहितो जाब उव्व द्वित्ता इत्थिपासु उववजिहिति, सत्यविण सत्थवज्झे दाह जाव दोचंपि छड्डीए तमाए पुरवीए उकोसकालजाब उब्बत्तिा बोचंपिइथियासु उववा, लस्थविण सस्थवज्झे जाव किया पंचमाए धूमप्पमाए पुढवीए उकोसकालजाव उव्याहिता उरएसु उववजिहिति, तस्थविणं सस्थवजा जाय किचा दोषंपि पंचमाए जाय उव्वहिता दोपि उरएस उववजिहिति, जाव किचा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालहितीयसि जाय उन्धहिता सीहेसु उपजिहिति, तत्थविण सत्थवजझे तहेव जाव किया वोचंपि चउत्थीए पंकजाव उवाहित्तायोपि सीहेसु उवध जाव किक्षा तबाए वालुयपभाए उक्कोसकालजाव उध्वहिता पक्खीसु उवव० तत्थविणं सत्यवझे जाव किक्षा दोपि तचाए वाल्लुयजाव उव्वहिता दोबंपि स्वीसु उवव जाव किया दोचाए सकरप्पभाए जाव उज्वहिता सिरीसवेसु स्वय. तस्थविण सत्व. जाब किच्चा दोपि दोषाए सकरप्पभाए जाव उव्वहिता दोबंपि सिरीसवेसु उवषः जाब किया इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालद्वितीगंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववनिहिति,जाच उध्वहितासण्णीम उवक, तत्थविणं सत्ववज्झे जाप किचा असनीसु उववजिहिति, तत्थवि ण सत्थवज्झे जाव किच्चा दोचंपि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पलिओवमस्स | असंखेजहभागद्वितीयंसि णरगंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति, से णं तओ जाव उव्वहिता जाई इमाई खहयरविहाणाई भयंति, तं.-चम्मपक्खीणं लोमपत्रीण समुग्गपक्खीण विषयपक्खीणं तेसु अणेगसयसहस्सखुतो For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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