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________________ Shri Mahavain Aradhana Kendra R Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir प्राप्तिः शतके उमेशा ११५शा www.kobatirth.org नेरहमाणं भंते! किं अत्ता पोग्गला अणता पोग्गला!, गोयमा! नो अत्ता पोग्गला अणत्ता पोग्गला, असुरकुमाराणं भंते ! किं भत्ता पोग्गला अणत्ता पोग्गला?, गोयमा! अत्ता पोग्गला णो अणत्ता पोग्गला, ॥१२५॥ एवं जाव थणियकुमाराणं, पुदविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा! अत्तावि पोग्गला अणत्तावि पोग्गला, एवं जाव मणुस्साणं, वाणमंतरजोइसियवेमाणियाण जहा असुरकुमाराणं, नेरल्याणं भंते! किं इहा पोग्गला अणिट्ठा पोग्गला!, गोयमा! नोट्ठा पोग्गला अणिट्ठा पोग्गला जहा अत्ता भणिया एवं इठ्ठावि कंतावि पियावि मणुप्रावि भाणियब्वा, एए पंच दंडगा। देवेणं भंते ! महडिए जाव महेसक्खे रूवसहस्सं विउम्वित्ता पम् भा सासहस्सं भासित्तए, हंता पभू, साणं भंते ! कि एगा भासा भासासहस्स?, गोषमा! एगाणं सा भासा Mणो खलु तं भासासहस्सं ( सूत्र ५३५)॥ [.] हे भगवान् ! शुं नरयिकोने आस-सुखकारक पुद्गलो होय छे के अनात्त-दुःखकारक पुद्गलो होय छे' [उ.] हे गौतम ! तेओने आच पुद्गलो नथी पण अनात्त पुद्गलो होय छे. [प्र.] हे भगवन् ! \ असुरकुमारोने आत्त-सुखकारक पुद्गलो होय छे के अनात पुद्गलो होय छे? [उ.) हे गौतम ! तेओने आत्त पुद्गलो होय छे, पण अनात्त पुद्गलो होता नथी. ए प्रमाणे | यावत् स्तनितकुमारो मुधी जाण. [प्र.] हे भगवान् ! सुं पृथिवीकायिकोने आत्त पुद्गलो होय छे के अनात पुद्गलो होय छे ? उ.] हे गौतम ! तेओने आत्त पुद्गलो पण होय छे, अने अनात्त पुद्गलो पण होय . ए प्रमाणे यावत्-मनुष्यो सुधी जाणवं." वानव्यंतर, ज्योतिषिक अने वैमानिकोने असुरकुमारोनी पेठे जाणवू. [प्र०] हे भगवन् ! शुं नारकोने इष्ट पुद्गलो होय के के अनिष्ट SAKSATARA ECORRORIES For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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