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________________ Shri Mahavir Jain Arad www.kobatirth.org Achar t ashsagarsur Gyanmandir दास्याप्राप्ति शतक १० ( उद्देशक १) H८८७॥ १०श्तके दिसि १ संवुडअणगारे २ आयड्ढी ३ सामहस्थि ४ देवि ५ सभा ६। उत्सरअंतरदीवा २८ दसमंमि उद्देश |सयंमि चोत्तीसा॥ ३४ ॥ IIGAON (उद्देशक संग्रह-) १ दिशा, २ संवृत अनगार, ३ आत्मऋद्धि, ४ श्यामहस्ती, ५ देवी, ६ सभा अने ७-३४ उत्तर दिशाना | अन्तरद्वीपो-ए सबन्धे दशमां शतकमां चोत्रीश उद्देशको छे. (१ दिशा संबंधे प्रथम उद्देशक, २ संवृत (संवरयुक्त) अनगारादि विषे बीजो उद्देशक, ३ आत्म ऋद्धि-पोतानी शक्ति-थी देवो देवावासोने उल्लंघन करे-इत्यादि संबन्धे त्रीजो उद्देशक, ४ श्यामहस्ति नामे श्रीमहावीरना शिष्यना प्रश्न संबन्धे चोथो उद्देशक, ५ देवी-चमरादि इन्द्रनी अग्रमहिपी-संबन्धे पांचमो उद्देशक, ६ सभादूसुधर्मा सभा-संबंधे छट्ठो उद्देशक अने ७-३. उत्तर दिशाना अव्यावीश अन्तरद्वीपो संबन्धी सातथी चोत्रीश उद्देशको के.) रायगिहे जाब एवं वयासी-किमियं भंते ! पाईणत्ति पचुच्चई १, गोयमा ! जीवा चेव अजीवा चेव, किमियं || |भंते ! पडीणाति पवुचई १, गोयमा! एवं चेव. एवं दाहिणा एवं उदीणा एवं उट्टा एवं अहोवि | कति णं भंते !! वा दिसाओ पण्णत्ताओ?, गोयमा! दस दिसाओ पण्णत्ताओ, तंजहा-पुरच्छिमा १ पुरच्छिमदाहिणा २ दाहिणा ३ दाहिणपञ्चत्थिमा ४ पचत्थिमा ५ पञ्चत्थिमुत्तरा ६ उत्तरा ७ उत्तरपुरच्छिमा ८ उड्डा ९ अहो १०। एयासिणं PARGANGACAS For Private And Personal
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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