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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्याप्राप्तिः ॥१६४॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ॥१०६४॥ 1. अने ७ आनप्राणपुद्गलपवर्त. [ प्र० ] हे भगवम् 1 नैरयिकोने केला प्रकारना पुलपरिवतों का है ? [३०] हे गौतम! तेओने १२ शतके सात पुलपरिवर्तो ह्या छे, ते आ प्रयाणे-१ औदारिकपुलपरिवर्त, २ वैक्रियपुद्गलपरिवत, यावद् ७ आनप्राणपुद्गलपरिवर्त. ए ४ उद्दे प्रमाणे यावद् वैमानिको सुधी नाग [प्र० ] हे भगवन् ! एक एक नैरयिकने कंटला औदारिकपुद्गलपरिवर्तो अतीत-थया छे १ [30] हे गौतम! अनन्त थया ले. [प्र० ] कटला घनारा छे ? [अ०] कोइने थवाना होय छे अने कोड़ने नयी; जेने थवाना हे तेने जघन्यथी एक, ये के ऋण थवाना छे; अने उत्कृष्टधी संख्याता, असंख्याता के अनन्ता थवाना होय छे [म] हे भगवन् ! - एक एक असुरकुमारने केटला औदारिकपुद्गलपरिवर्तो थया छे ? [३०] ए प्रमाणे उपर कक्षा प्रमाणे जाणवु, ए प्रमाणे यावद् वैमानिक सुधी जाणवु [प्र०] हे भगवन् ! एक एक नैरयिकने केटला वक्रियपुद्गल परिवर्ती थया है ? [] अनन्ता थया छे. ए प्रमाणे जेम औदारिकपुद्गल परिवर्त संबन्धे का तेम वैकिय पुगलपरावर्त संबन्धे पण जाणवु यावद् वैमानिक सुधी कहेनुं. ए प्रमाणे यावद् आनप्राणपुद्गलपरिवर्त संबन्धे पण जाणवु. ए प्रमाण एक एकने आश्रयी सात दंडको थाय छे. [प्र०] हे भगवन् ! नैरयिकोने केला औदारिकपुद्गल परिवर्तो थया छे ? [अ०] हे गौतम! अनन्ता थया छे. [प्र० ] केटला औदारिकपुद्गल परिवर्त थवाना छे ? [ उ ] अनन्ता थवाना छे. ए प्रमाणे यावद् वैमानिको सूधी जाणवु ए रीते वैक्रियपुद्गल परिवर्ती, याबद् आनप्राणपुद्गल परिवर्ती संबन्धे पण यावत् वैमानिको सुधी जाणवु एम (सात पुद्गलपरिवर्त संबन्धे ) बहुवचनने आश्रयी सात दंडको (नैरयिकादि ) चोवीश दंडके कहेवा. एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स नेर० केवतिया ओरालियपोग्गलपरिया अतीता है, नत्थि एक्कोवि For Private And Personal
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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