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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sh Kailashsagarsuri Gyanmandir शतके उद्देश:११ M१००४॥ (अमुक जातना पात्रो, लोटा अथवा कचोला), आठ पलंग, आठ प्रतिशय्या (ढोयणी प्रमुख नानी बीजी श्य्याओ), आठ हंसासनो, आठ क्रौचासनो,ए प्रमाणे गरुडासनो,उंचा आसनो,नीचा आसनोदीसिनो,मद्रासनो,पक्षासनो,मकरासनो,आठ पद्मासनो,आठ दिक्स्वव्याख्या प्रदाप्तिः Fस्तिकासनो,आठतेलना डाबडा-इत्यादिवर्धं राजप्रश्नीय सूत्रमा कह्या प्रमाणे कहेवू,यावद् आठ सरसवना डाबडा,आठ कुब्ज दासीओ॥१००४॥ इत्यादि बधु औपपातिक सूत्रमा कह्या प्रमाणे कहे, यावत् आठ पारसिक देशनी दासोओ; आठ छत्रो, आठ छत्र धरनारी दासीओ, आठ चायरो, आठ चामर धरनारी दासीओ, आठ पंखा, आठ पंखा वींजनारी दासीओ, आठ करोटिका-तांबूलना करंडिया-ने दूधारण करनारी दासीओ, आठ क्षीरधात्रीओ (दूध पानारी धावो), यावद् आठ अंकपात्रीओ (खोळामा रमाडनारी धावो) आठ अंगममिकाओ,-शरीरर्नु अल्प मर्दन करनारी दासीओ आठ उन्मदिकाओ (अधिक मदेन करनारी दासीओ), आठ स्नान करावनारी दासीओ, आठ अलंकार पहेरावनारीओ, आठ चंदन घसनारीओ, आठ तांबूल चूर्ण पीसनारीओ, आठ कोष्ठागारर्नु रक्षण करनारी, आठ परिहास करनारी, आठ सभामां पासे रहेनारी, आठ नाटक करनारीओ, आठ कौटुंबिकीओ-साथे जनारी दासीओ,आठ रसोड करनारी, आठ भांडागारनुं रक्षण करनारी, आठ मालणो, आठ पुष्प धारण करनारी, आठ पाणी लावनारी आठ बलि करनारी, आठ पथारी तैयार करनारी. आठ अंदरनी अने आठ बहारनी बहारनी प्रतिहारीओ, आठ माला करनारीओ, आठ पेषण करनारी, अने ए शिवाय वीजु घणुं हिरण्य, सुवर्ण, कांसं, वस्त्र तथा विपुल धन, कनक, यावत् विद्यमान सारभूत धन आप्यु. जे सात पेदी सुधी इच्छापूर्वक आफ्वा अने भोगववाने परिपूर्ण हतुं. त्यार बाद ते महाबल कुमार दरेक खीने एक एक हिरण्यकोटि, एक एक सुवर्णकोटि अने मुकुटोमां उत्तम एक एक मुकुट आपे छे. ए प्रमाणे पूर्वोक्त सर्व वस्तुओ एक एक आपे , यावत् एक एक रसोइ करनारी, आठ REACHAR A% Ak अंदरनी अने आठ बहारना बहा यावत् विद्यमान सारभूत धन For Private And Personal
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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