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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailashsagarsur Gyanmandir ११वतके उद्देशा ॥९७४॥ रणमां का तेम अहीं जाणवू, यावत् ते सुदर्शन शेठ त्रण प्रकारनी पर्युपासता बडे पयुपासे छे. त्यार पछी श्रमण भगवंत महामाख्या-8 वीरे ते सुदर्शन शेठने अने ते मोटामा मोटी सभाने धर्मकथा कही, यावत् ते सुदर्शन शेठ आराधक थाय छे. त्यार पछी सुदर्शन प्रज्ञप्तिः शेठ श्रमण भगवंत महावीर पासेथी धर्म सांभळी अने अवधारी हर्षित अने संतुष्ट थइ उमा थाय छे, उभा थइने श्रमण भगवंत महा॥९७४॥ वीरने त्रण वार प्रदक्षिणा करी, यावद् नमस्कार करी तेणे आ प्रमाणे पूछ्यु-[प्र०] हे भगवन् ! काल केटला प्रकारनो कह्यो छे ? [उ०] हे सुदर्शन ! काल चार प्रकारनो कह्यो छेते आ प्रमाणे-१ प्रमाणकाल २ यथायुनिवृत्तिकाल, ३ मरणकाल, अने ४ अद्धाकाल. [प्र०] हे भगवन् ! प्रमाणकाल केटला प्रकारे छे ? [उ०] प्रमाणकाल वे प्रकारनो को छे ते आ प्रमाणे-दिवसप्रमाणकाल अने रात्रीप्रमाणकाल, अर्थात चार पौरुषीना-प्रहरन दिवस थाय छे, अने चार पौरुपीनी रात्री थाय छे. अने उत्कृष्ट-मोटामा Bामोटी साडा चार मुहूर्तनी पौरुपी दिवसनी, अने रात्रीनी थाय छे. तथा जघन्य-न्हानामां न्हानी पौरुषी दिवस अने रात्रिनी त्रण महूर्तनी थाय छे. ॥ ४२४ ॥ जदा णं भंते ! उक्कोमिया अपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति तदा ण कति भागमुहुत्तभागेणं परिहायमाणी परि २ जहन्निया तिमुहुत्ता दिवमस्स वा राईए वा पोरिसी भवति ?, जदा णं जहन्निया तिमुहुत्ता दिवमस्स वा राईए वा पोरिसी भवति तदा णं कतिभागमुहुत्तभागेणं परिवडमाणी २ उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईग वा पोरिसी भवह, सुदंसणा! जदाणे उक्कोसिया अद्धपंचममुहत्ता | दिवसस्स वा राईण वा पोरिसी भवइ तदा ण यावीससयभागमुहुत्तभागेण परिहायमाणी परि०२ जहनिया तिम. FROCEARS For Private And Personal
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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