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________________ Shri Mahavir Jain Aradha व्याख्या प्रज्ञप्तिः १९४३ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir तए णं तस्स सिवस्स रनो अन्नया कयावि पुत्र्वरत्तावरत्तकालसमर्थसि रजधुरं चिंतेमाणस्स अयमेपारू वे अम्भस्थि जाव समुपज्जित्था अस्थि ता मे पुरा पोराणाणं जहा तामलिस्स जाव पुत्तेहिं बामि पहिं बडाम रज्जेणं बडामि एवं रद्वेणं वलेणं वाहणेणं कोसंग कोट्टागारणं पुरेणं अंतेउरेण बट्टामि विपुलघणकणगरपणजावसं नसारसावएजेणं अतीव २ अभिवामि तं किन्नं अहं पुरा पोराणाणं जाव एगनसोक्स्वयं उच्हमाणे विहरामि ? तंजाव ताव अहं हिरणं वडामि तं चैव जाव अभिवामि जाय में सामंतरायाणोऽवि बसे बहंनि नाना मे | सेयं कलं पाउप्पभागाए जाव जलते सुबहु लोहीलोहक डाह कडुच्छ्रयं तंबियं तावस भंडगं घडावेत्ता सिवमहं कुमारं रज्जेठावेत्ता में सुबहु लोहीलोहक डाकडुच्छ्रयं वियं ताबस भंडगं गहाय जे हमे गंगाकूले घाणपस्थातावमा भयंति तं - होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जन्नई सडई घालई हुंब उट्ठ दंतुकम्बलिया उम्मजया मलगा निमलगा संपर्क खाला उद्धकंडूगा अहोकंड्यगा दाहिणकूलगा उत्तरकूलगा संवधमया कूलमा मितलुद्धा हत्थितावमा जलाभिसेपकिदिणगाया अंबुवासिणो वाउवासिणो वक्कलवासिणो जलवासिणो चलंवामिणो अबुभक्खिणो वायभक्विणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा पत्ताहारा तयाहारा पुष्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूलपंडुपत्तपुप्फफलाहारा उद्दंडा रुक्मूलिया मंडलिया वणपासिणो दिसापोक्ग्विया आग्रावणाहिं पंग्गितावेहिं इंगालसोलिपि कंडुसोल्लियंविव कट्टसांलिपिव अयाणं जाव करेमाणा विहरति [जहा उवा जाव कट्ठ सोल्लियंपिव अप्पाणं करेमाणा विहरंति ] ॥ तत्थ णं जे ते दिमापोक्वि गतावमा नेमिं अतिय मुंडे भविता For Private And Personal *%% ११ शतके उद्देशः९ ॥ ९४३ ॥
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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