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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 4 - व्याख्या प्रज्ञप्तिः ८ शतके उद्देशः६ ॥६६३॥ S % A | ढाकणुं वळे छ, के ज्योति-दीपशिखा बळे ? [उ.] हे गौतम ! दीवो बळतो नथी, यावत् दीवानु ढांकणुं बळतुं नथी, पण ज्योति बळे के. [प्र०] हे भगवन् ! बळता घरमा शुंबळे के? शुं घर बळे छे, भीतो बळे छ, त्राटी बळे छे, धारण (मोभनी नीचेना स्तंभो) साबळे , मोभ बळे छे, वांसो बळे छे, मल्लो (भींतोना आधार थांभला) बळे छे, छींदरीओ बळे छे, छापलं बळे छे, छादन-डाम वगेरेनु दांकण बळे के के ज्योति-अग्नि बळे छे? [उ०] हे गौतम ! घर वळतुं नथी, भीतो वळती नथी, यावत् डाभ वगेरेनुं छादन | पळतुं नथी, पण ज्योति बळे छे. ॥ ३३४ ॥ जीवे णं भंते ! ओरालियसरीराओ कतिकिरिए ?, गोगमा! सियतिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंच| किरिए सिय अकिरिए । नेरइए भंते ! ओरालियसरीराओ कतिकिरिया (ए)?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए। असुरकुमारे णं भंते ! ओरालियसरीराओ कतिकिरिए ? एवं चेव, एवं जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे । जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरेहिंतो कतिकिरिए ?, गोयमा! सिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए। [प्र०] हे भगवन् ! एक जीव (परकीय) एक औदारिक शरीरने आश्रयी केटली क्रियावाळो होय ? [उ०] हे गौतम ! कदाच त्रण क्रियावाळो, कदाच चार कियावाळो, कदाच पांच क्रियावाळो, अने कदाच अक्रिय (क्रिया रहित ) होय. [प्र०] हे भगवन् ! एक नारक (परकीय) एक औदारिक शरीरने आश्रयी केटली क्रियावालो होय ? [उ.] हे गौतम ! कदाच त्रण क्रियावालो, कदाच चार क्रियावाळो अने कदाच पांच क्रियावाळो होय. [प्र०] हे भगवन् ! एक असुरकुमार (परकीय) एक औदारिक शरीरने आश्रयी A -%4% EARN - For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
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