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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८ शतके उद्देशः५ ॥६४६॥ उद्देशक ५. व्याख्या रापगिहे जाव एवं बयासी-आजीविया णं भंते ! थेरे भगवंते एवं बयासी-समणोवासगस्स णं भंते ? साप्रज्ञप्तिः माइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ भंडे अवहरेज्जा, से णं भंते ! तं भंडं अणुगवेसमाणे किं सयं भंड ॥६४६॥ है अणुगवेसइ परायगं भंडं अणुगवेसइ ?, गोयमा! सयं भंडं अणुगवेसति, नो परायगं भंडं अणुगवेसइ, तस्स णं भेते ! तेहिं सीलव्वयगुणवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासेहिं से भंडे अभंड भवति ?, हंता भवति ॥ से केणं खाइ णं अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ सयं भंडं अणुगवेसइ, नो पगयगं भंडं अणुगवेसइ ? गोयमा! तस्स णं एवं भवति6 णो मे हिरन्ने नो मे सुवन्ने नो मे कंसे नो मे दूसे नो मे विउलधणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरय णमादीए संतसारसावदेज, ममत्तभावे पुण से अपरिणाए भवति, से तेण?णं गोयमा! एवं बुचइ-सयं भंडं| अणुगवेसइ, नो परायगं भंडं अणुगवेसइ॥ समणोवासग्गस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सर अच्छमा. | णस्स केति जायं चरेजा, से णं भंते ! किं जायं चरइ अजायं चरइ ?, गोयमा ! जायं चरइ, नो अज.यं चरइ, तस्स शाणं भंते ! तेहिं सीलन्वयगुणवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासेहिं सा जाया अजाया भवइ ?, हंता भवइ, से केणं खाइ णं अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जायं चरइ, नो अजायं चरइ ?, गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-णो मे माता णो| मे पिता णो मे भाया णो मे भगिणी णो मे भजा णो मे पुत्ता णो मे धूया नो मे सुण्हा, पेजबंधणे पुण से अवोच्छिन्ने भवइ, से तेणटेणं गोयमा ! जाव नो अजायं चरइ ।। (सूत्रं ३२७)॥ NARENERGAGAGA AAAAACARDASPEECH For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
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