SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्रज्ञातिः ॥६१२॥ ARRIAGE माणियदेवकम्मासीविसे नो कप्पातीयवेमाणियदेवकम्मासीविसे, [प्र०] हे भगवन् ! जो देव कर्माशीविष छे तो शुं भवनवासी देव कर्माशीवित छे के यावत् वैमानिकदेव कर्माशीविष छे ? ८ शतके [उ०] हे गौतम ! भवनवासी देव कर्माशीविष के, वानव्यंतर देव, ज्योतिष्क देव अने वैमानिकदेव पण कर्माशीविष छे. [प्र०] 14 & उद्देशः२ | हे भगवन् ! जो भवनवासी देव कर्माशीविष छे तो शुं असुरकुमार भवनवासी देव कर्माशीविष छे के यावत् स्तनितकुमार भवनवासी |॥६१२॥ देव कर्माशीविष छ ? [उ.] हे गौतम! असुरकुमार भवनवासी देव पण कर्माशीविष छे, यावत् स्तनितकुमार भवनवासी देव पण यावत् कर्माशीविष छे. [प्र०] हे भगवन् ! जो असुरकुमार यावत् कर्माशीविष छे तो शुं पर्याप्त अमुरकुमार भवनवासी देव कर्माशी-14 विष छे के अपर्याप्त असुरकुमार भवनवासी देव कर्माशीविष छ ? [उ०] हे गौतम! पर्याप्त असुरकुमार भवनवासी देव कर्माशीविष नथी, पण अपर्याप्त अमुरकुमार भवनवासी देव काशीविष छे, ए प्रमाणे यावत् स्तनितकुमारो सुधी जाणवू. [प्र.] जो वानव्यंतर देवो कर्माशीविष छे तो शुं पिशाच वानव्यंतर देवो कर्माशीविष छे? इत्यादि. [उ०] हे गौतम ! तेओ बधा अपर्याप्तावस्थामा कर्माशीविष छे, तेम सघळा ज्योतिष्को पण अपर्याप्तावस्थामा कर्माशीविष छे. [प्र.] हे भगवन् ! जो वैमानिक देव कर्माशीविष छे तो शुं कल्पोपपन्नक वैमानिक देव काशीविष छे के कल्पातीत वैमानिक देव कर्माशीविष छ? [उ.] हे गौतम ! कल्पोपपन्नक वैमानिक देव कर्माशीविष छे, पण कल्प तीत वैमानिक देव कर्माशीविष नथी. जइ कप्पोवगवेमाणियदेव कम्मासीविसे किं मोहम्मकप्पोव० जाव कम्मासीविसे अच्चुयकप्पोवग जाव कम्मासीविसे ?, गोयमा! सीहम्मकप्पोक्ग वेमाणियदेवकम्मासोविसेवि जाव सहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेव HAN-H-E For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy