SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिणतसबमतिककार्मणशक बन्नपापरिणए परिणए व्याख्याप्रज्ञतिः ॥६००॥ ८ शतके उद्देशः१ ॥६००॥ 48 मिश्रपरिणतसंबन्धे सर्व कहे, यावत् पर्यात सर्वार्थसिद्धत्तरौपपातिकदेवपंचेन्द्रियकार्मणशरीरभिश्रपरिणत होय, के अपर्याप्तसार्थसिद्धअनुत्तरौपपातिककार्मणशरीरमिश्रपरिणत होय. जइ वीससापरिणए कि वनपरिणए गंधपरिणए रसपरिणए फासपरिणए संठाणपरिणए ?, गोयमा ! वनपरिणए वा गंधपरिणए वा रसपरिणए वा फासपरिणए बा संठाणपरिणए वा, जइ वनपरिणए किं कालवनपरिणए नील जाव सुकिल्लवन्नपरिणए ?, गोयमा ! कालवनपरिणए जाव सुकिल्लवनपरिणए, जइ गंधपरिणए किं सुभिगंधपरिणए दुन्भिगंधपरिणए ?, गोयमा ! सुब्भिगंधपरिणए वा दुन्भिगंधपरिणए वा, जइ रसपरिणए किं तित्तरसपरिणए ? ५, पुच्छा, गोयमा! तित्तरसपरिणए वा जाव महुररसपरिणए वा जइ फासपरिणए किं कक्खडफामपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए?, गोयमा! कक्खडफासपरिणए वा जाव लुक्खफासपरिणए वा, जइ संठाणपरिणए पुच्छा, गोयमा! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव आययसंठाणपरिणए वा ॥ (मृत्रं ३१२)॥ [प्र०] हे भगवन् ! जो ते एक द्रव्य विस्रसापरिणत-खभावपरिणत होय तो शुं ते वर्णपरिणत होय, गंधपरिणत होय, रसपरिणत होय, स्पर्शपरिणत होय के संस्थानपरिणत होय ? [उ०] हे गौतम ! ते वर्णपरिणत होय, गंधपरिणत होय, रसपरिणत होय, | रपर्शपरिणत होय, अने संस्थानपरिणत पण होय. [प्र०] हे भगवन् ! जो ते एक द्रव्य वर्णपरिणत होय तो शुं काळावर्णपणे परिणत होय, नीलवर्णपणे परिणत होय के यावत् शुक्लवर्णपणे परिणत होय ? [उ०] हे गौतम ! ते काळावर्णपने परिणत होय, यावत् । AAAAAEEG 3+%ANCE For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy