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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हैजस्स णं आभिणिबोहियनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवममें कडे भवइ से णं असोचाकेवलिस्स वा जाव केवलं आभिणियोहियनाणं उप्पाडेजा, जस्सणं आभिणियोहियनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ सेI lead व्याख्याप्राप्तिः दणं असोचाकेवलिस्स वा जाव केवलं आभिणियोहियनाणं नो उप्पाडेजा से तेण?णं जाव नो उप्पाडेजा, उद्देश [प्र०] हे भगवन् ! केवली पासेथी के यावत् तेना पक्षनी उपासिका पासेथी सांभळ्या विना कोइ जीव शुद्ध संवरवडे संवर॥७५३॥ ॥७५३॥ आस्रवनो रोध--करे? [उ०] हे गौतम ! केवली पासेथी यावत् सांभळ्या विना पण कोइ जीव शुद्ध संवरवडे आस्रवने रोके, अने कोइ जीव शुद्ध संवरवडे आस्रवने न रोके. [40] हे भगवान् ! ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के-'यावत् संवर न करे ? [उ०] हे गौतम ! जे जीवे अध्यवसानावरणीय (भावचारित्रावरणीय ) कर्मोनो क्षयोपशम कर्यो छे ते जीव केवली पासेथी यावत् सांभळ्या विना पण शुद्ध संवरवंड संवर-आसवनो रोध-करी शके, अने जे जीवे अध्यवसानावरणीय कर्मोनो क्षयोपशम नथी कर्यो ते जीव केवली पासेथी सांभळ्या विना संवर न करी शके; माटे हे गौतम ! ते हेतुथी एम कडं ले के--यावत् 'संवर न करें'. [प्र०] हे भगवन् ! केवली प्रासेथी यावत् सांभळ्या विना कोइ जीव शुद्ध आमिनिबोधिक ज्ञान उत्पन्न करे ? [उ०] हे गौतम! केवली पासेथी के यावत् तेनी उपासिका पासेथी सांभळ्या विना पण कोइ जीव शुद्ध आभिनिवोधिक ज्ञान उपजावी शके, अने कोइ जीव शुद्ध आभिनिबोधिक ज्ञान न उपजावी शके. [प्र०] हे भगवन् ! एम शा हेतुथी कहो छो के-'यावत् न उपजावी शके १ [उ०] हे गौतम! जे जीवे आमिनिबोधिक ज्ञानावरणीय कर्मोनो क्षयोपशम कर्यों के ते जीव केवली पासेथी यावत् सांभळ्या विना पण शुद्ध आमिनिबोधिकज्ञान उपजावी शके, अने जे जीवे आभिनिवोधिक ज्ञानावरणीय कर्मोनो क्षयोपशम कर्यो नथी ते जीव केवली FASRCISCLA ॐACCURRॐ For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
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