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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailaseagarsuri Gyanmandie व्याख्याप्राप्तिः ॥७१७॥ ८ शतके उद्देशः९ ॥७१७॥ C+LEGALAMMUNICAL [प्र०] हे भगवन ! मोहनीयकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध संबन्धे प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! तीवक्रोध करवाथी, तीव्र मान करवायी, तीव माया (कपट) करवायी, तीव्र लोभ करवाथी, तीव्र दर्शनमोहनीययी, तीव्र चारित्रमोहनीयथी तथा मोहनीयकार्मणशरीरपयोगनामकर्मना उदयथी मोहनीयकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध थाय छे. [प्र०] हे भगवन् ! नारकायुषकार्मणशरीरमयोगबन्ध संवन्धे प्रश्न.[उ.]13 हे गौतम! महा आरम्भथी, महापरिग्रहथी, मांसाहार करवायी,पंचेन्द्रिय जीवोनो वध करवायी तथा नारकायुपकार्मणशरीरपयोगनामकर्मना उदययी नारकायुषकार्मणशरीरमयोगबन्ध थाय छे. [प्र.] हे भगवन् ! तिर्यचयोनिकायुषकार्मणशरीरमयोगबन्ध कया कर्मना उदयथी थाय छे ? [उ.] हे गौतम ! मायिकपणाथी, कपटीपणाथी, खोटुं बोलवाथी, खोटा तोलां अने खोटां मापथी तथा तिर्यचयोनिकायुष-18 कार्मणशरीरपयोगनामकर्ममा उदयथी तिर्यचयोनिकायुषकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध याय छे. [प्र०] हे भगवन् ! मनुष्यायुषकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध कया कर्मना उदयथी थाय छे ? [उ०] हे गौतम ! प्रकृतिनी भद्रनाथी, प्रकृतिना विनीतपणाथी, दयाळूपणाथी, अमत्सरिपणाथी तथा मनुष्यायुपकार्मणशरीरप्रयोगनामकर्मना उदयथी मनुष्यायुषकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध थाय छे. [प्र०] देवायुषकार्मणशरीरपयोगबन्ध संपन्धे प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! सरागसंयमथी, संयमासंयम-(देशविरति)थी, अज्ञानतपकर्मथी, अकामनिर्जराथी तथा | वायुष्कार्मणशरीरमयोगनापकर्मना उदयथी देवायुष्कार्मण शरीरप्रयोगबन्ध थाय छे. [प्र०] शुभनामकार्मणशरीरमयोगबन्ध संबन्धे | प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! कायनी सरलताथी, भावनी सरलताथी, भाषानी सरलताथी अने योगना अविसंवादनपणाथी-एकताथी तथा शुभनामकार्मणशरीरमयोगनाम कर्मना उदयथी यावत् प्रयोगबन्ध थाय छे. असुमनामकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा कायअणुज्जुययाए भावअणुज्जुययाए भासणुज्जुयाए विसंवायणाजोगेणं 3555 For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
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