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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥४०९॥ भाग सुधी वधे छे, घटे छे ए प्रमाणे कहेवू अने ते ओनो अबस्थान काळ तो जे कह्यो ते जाणवो. सिद्धा णं भंते ! केवतियं कालं वदति ?, गोयमा ! जह. एक समयं उक्को० अट्ट समया, केवतियं कालं शतके अवट्ठिया ?, गोयमा ! जह० एक समयं उक्को. छम्मासा ।। जीवा णं भंते ! किं सोवचया सावचया सोवचय- | उद्देशन सावचया निरुवचयनिरवचया ?, गोयमा ! जीवा णो सोवचया नो सावचया णो सोवचयसावचया निरु- |॥४०॥ वचयनिरवचया, एगिंदिया ततियपए, सेमा जीवा चउहिवि पदेहिवि भाणियब्वा, सिद्धा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा सोवचया, णो मावचपा, णो सोवचयसावचया, निरुवचयनिरवचया । जीवा णं भंते ! केवतियं कालं निरुवचयनिरवचया ?, गोयमा! सम्बद्धं, नेरतिया भंते ! केवतियं कालं सोवचया ?, गोयमा! जह. एकं समयं उ. आवलियाए असंखेजहभागं, केवतियं कालं सावचया ? एवं चेव, केवतियं कालं | सोवचयसावचया?, एवं चेव, [प्र.] हे भगवन् ! सिद्धो केटला काळ सुधी वधे छ ? [उ०] हे गौतम ! जघन्ये एक समय अने उत्कृष्टे आठ समय मुधी ४ | सिद्धो वधे छे. [प्र०] हे भगवन् ! सिद्धो केटला काळ सुधी अवस्थित रहे छ ? [उ०] हे गौतम ! जघन्ये एक समय अने उत्कृष्टे छ मास सुधी सिद्धो अवस्थित रहे छे. [प्र०] हे भगवन् ! जीवो उपचय सहित छे, अपचय सहित छे, सोपचय सापचय छे अने* उपचय रहित छे के अपचय रहित छ ? [उ०] हे गौतम! जीवो सोपचय उपचय सहित नथी, सापचय अपचय सहित नथी, सोपचय सापचय नथी, पण निरुपचय अने निरपचय छे. एकेन्द्रिय जीवो वीजा पदमा छे एटले सोपचय अने सापचय छे, बाकीनाk PRAKAS**** For Private and Personal Use Only
SR No.020107
Book TitleBhagvati Sutram Part 02
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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