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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit ६ शतके व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥४६८॥ 4% * 'उच्छ्वास, ए एक मुहूर्त, एम अनंतज्ञानिओए दीठं छे.' ए मुहूर्त प्रमाणे त्रीश मुहूर्तनो एक अहोरात्र थाय छे, पंदर अहोरात्रनो एक पक्ष थाय छे. वे पक्षनो एक मास थाय छे, बे मासनो एक ऋतु थाय छे अने त्रण एक ऋतुर्नु एक अयन थाय छे, वे अयनद एक संवत्सर थाय छ, पांच संवत्सरनुं एक युग थाय छे, वीश युगमा १०० वरस थाय छे दशसो वरसना एकहजार वर्ष थाय छे, | उद्देशः७ *सोहजार वर्षनां एक लाख वरस थाय छे चोरासीलाख वर्ष, ते एक पूर्वांग थाय छे, चोरासीलाग्य पूर्वांग, ते एक पूर्व थाय छे-ए ॥४६८॥ ४. प्रमाणे त्रुटितांग, त्रुटित, अडडांग, अडड, अवांग अवब, हहुआंग, हुहुअ, उत्पलांग, उत्पल, पांग, पद्म, नलिनांग, नलिन, अर्थनिउरांग. अर्थनिउर, अयुतांग, अयुत, प्रयुतांग, प्रयुत, नयुतांग, नयुत, चूलिकांग, चूलिका, शीर्षप्रहेलिकांग अने शीर्षप्रहेलिका; | अहिं सुधी गणित छे अहिं सुधी गणितनो विषय छे अने त्यारबाद औपमिक एटले अमुक संख्यावडे नहि पण मात्र उपमावडे जे ४ जणावी-जाणी शकाय एवो काल छे.. से किं तं ओवमिए ?, २ दुविहे पण्णते, तंजहा-पलिओवमे य सागरोवमे य, से किं तं पलिओवमे? 13 से किं तं सागरोवमें ? ॥ सत्येण सुतिक्खेणवि छेत्तुं भेत्तुं च जं किर न सका। तं परमाणु सिद्धा वयंति आदि पमाणाणं ॥ ४९ ॥ अणंताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा उस्सण्हसण्डियाति वा सहसण्हियाति वा उड्ढरेणूति वा तमरेणूति वा रहरेणूति वा वालग्गेइ वा लिक्खाति वा ज़्याति वा जवमज्झेति वा अंगुलेति वा, अट्ट उस्सण्हसण्हियाओ सा एगा सहसण्हिया, अट्ट सण्हसण्हियाओ सा एगा उड्ढरेणू, अट्ठ उड्ढरेणूओ सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू, अढ रहरेणूओ से। *** % % * * For Private and Personal Use Only
SR No.020107
Book TitleBhagvati Sutram Part 02
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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