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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥ ८७ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जे कलुष अने किल्विष छे. तेने ते जीव गर्भमां उत्पन्न सतावेज खाय थे [प्र० ] हे भगवन्! गर्भमां गयो छतो जीव शुं खाय छे ? [उ०] हे कौतम ! गर्भमा रहेलो जीव माताएं खाघेला अनेक प्रकारना रसविकारोना एक भाग साथै माताना आर्तवने खाय छे. [प्र०] हे भगवन् ! गर्भमां गएल जीवने विष्टा, सूत्र, श्लेष्म, नासिकानोमेल, वमन अने पितृ होय ? [36] हे गौतम! ए अर्थ समर्थ नथी. [म] हे भगवन् ! तेनुं शुं कारण ? [उ०] हे गौतम! गर्भमां गया पछी जे आहारने खाय है, चय करे हे ते आहारने कानपणे चामडीपणे, हाडकापणे, मज्जपणे, वाळपणे, दाढीपणे, संत्रापणे अने नखपणे परिणमधि हे माटे हे गौतम! ते कारणथी गर्भमा गएका जीवने विष्टादिक नथी होउ. [प्र० ] हे भगवन् ! गर्भमां गएलो जीव मुखद्वारा कोळियारूप आहारने लेवाशक्त ! [उ०] हे गौतम! ए अर्थ समर्थ नथी. [प्र० ] हे भगवन् ! तेनुं शुं कारण ? [उ०]. हे गौतम! गर्भमां गएलो जीव सर्व आत्मावडे आहार करे छे, परिणामावे, उच्छ्वास ले छे, निःश्वास ले छे, कदाचित् आहार करे हे, कदाचित् परिणमाळे, उच्छ्वास ले छे, अने कदाचित निःश्वास पण ले के तथा पुत्रना जीवने रम पहोचाडयामां कारणभूत अने मातानो रस लेवामां कारणभूत जे माजीवरस - हरणी नामनी नाडी छे ते माताना जीब साथै संबंद्ध छे अने पुत्रा जीवने अडकेली हे तेनाथी पुत्रनो जीव आहार ले छेखने आहारने परणमावे छे तथा बीजी पूण एक नाडी हे, जे पुत्रता जीव साधे संबद्ध के अने माताना जीवने अडकेली छे, तेनाथी पुत्रनो जीव आहार ले के अने आहारनो चय अने उपचय करे छे. हे गौतम! ते कारणथी गर्भमां गएलो जीव मुखद्वारा कोळियारुप आहार लेवाने शक्त नथी. [ प्र० ] हे भगवन् ! माताना अंगो केलां कलां छे ? [उ०] हे गौतम! माताना अंगो त्रण कह्यां छे. ते आ प्रमाणे:-मांस, लोही, अने मायानुं भेजूं [प्र०] हे भगवन् पितानां अंगो केरलां कला छे ? For Private and Personal Use Only .९ शतके उद्देशः ७ 1129 11
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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