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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लाशतके PRAKA उरेशः ६ ना।।७६ ॥ उवरिल्लं एकेक संजोयतेणं जो जो हिद्विल्लो तं तं छईतेणं नेयध्वं जाव अतीयअणागयद्धा पच्छा सव्वद्धा जाव व्याख्या अणाणुपुथ्वी एसा रोहा ! सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति । जाव विहरह॥ (म०५४) भंतेत्ति भगवं गोपमे समर्ण प्रज्ञप्ति जाव एवं क्यासी-कतिविहा गं भंते ! लोयहिती पण्णत्ता, गोयमा! अहविहा लोयट्टिती पण्णत्ता, तंजहाआगासपइट्टिए बाए १ वायपइट्टिए उदही २ उदहीपइडिया पुढवी३ पुढविपइडिया तसा थावरा पाणा ४ अजीवा जीवपइहिया ५जीवा कम्मपइडिया ६ अजीवा जीवसंगहिया ७ जीवा कम्मसंगहिया ८1से केणद्वेणं भंते ! एवं बुचह?-अढविहा जाव जीवा कम्मसंगहिया ?, गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे वस्थिमाडोवेइ, वत्थिमाडोवित्ता उपि सितं बंधइ २ मज्झेणं गठिं बंधइ २ उवरिलं गठिं मुयइ २ उवरिल्लं देसं वामेइ २ उवरिल्लं देसं वामेत्ता उवरिल्लं देसं आउयायस्स पूरेइ २ उप्पि सिंत बंधइ २ मज्झिल्लं गांठे मुयइ । से नूर्ण गोयमा ! से आउयाए तस्स वाउयायस्स उपि उवरितले चिट्ठा, हंता चिट्ठह, से तेणद्वेणं जाव जीवा कम्म. संगहिया, से जहा वा केइ परिसे वत्थिमाडोवेइ २ कडीए बंधइ २ अस्थाहमतारमपोरसियंसि उदगंसि ओगा हेजा, से नूर्ण गोयमा ! से पुरिसे तस्म आउयायस्स उवरिमतले चिट्ठइ ?, हंता चिट्ठा, एवं वा अट्ठविहा MIलोयदुिई पण्णता जाव जीवा कम्मसंगहिया॥ (सू०५५)॥ ते काले, ते समये श्रमण भगवंत महावीरना शिप्य रोह नामना अनगार हता, जेओ स्वभावे भद्र, कोमल, विनयी, शांत, ४ाओछा क्रोध, मान, माया अने लोभवाळा, अत्यंत निरभिमानी, गुरुने आशरे रहेनारा, कोइने संताप न करे तेवा अने गुरुभक्त .+9 - For Private and Personal Use Only
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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