________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥६ ॥
KARAK+%%
१ शतके उद्देशः ५ ॥६ ॥
तथा एकसो उपरना-उपरिमक-मां छे. अने अनुत्तर विमानो तो पांचज छे. ॥४४॥
पुढवि द्विति ओगाहण सरीर संघयणमेव संठाणे । लेस्सा दिट्ठी णाणे जोगुवओगे य दस ठाणा ।। १५ ॥ इमीसे भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ठितिठाणा पण्णत्ता, गोयमा! असंखेजा ठितिठाणा पण्णत्ता, तंजहा-जहन्निया ठिती समयाहिया जहनिया ठिई दुसमयाहिया जाच असंखजसमयाहिया जहनिया ठिई तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिती ।। इमीसे णं
भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावाससि जहन्नियाए ठितीए वट्ट3 माणा नेरइया कि कोहोवउत्ता माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता?, गोयमा! सब्वेवि ताव होजा कोहो
वउत्ता १, अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य २, अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य ३, अहया कोहोवउत्ता य मायोवउत्ते य ४, अहवा कोहोवउत्ता यमायोवउत्ता य ५, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ते य ६, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ता य ७॥ अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य १, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ता य २, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायोवउत्ते य ३, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायाउवउत्ता य ४, एवं कोहमाणलोभेणवि चउ ४, एवं कोहमायालोमेणवि चउ ४, एवं १२, पच्छा माणेण मायाए लोभेण य कोहो भइयव्यो, ते कोहं अमुंचता ८, एवं सत्तावीसं भंगा णेयवा ॥ इमीसे गं: भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावाससि समयाहियाए जहन्नवि-15
64*4%EX+8+
AR
For Private and Personal Use Only