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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्रज्ञप्तिः Wicke% १ गौतम ! हा, ते उत्पत्रज्ञामदर्शनघर, अरिहंत, जिन अने केवली पूर्ण कहेवाय अर्थात् पूर्णज्ञानी कहेवाय. हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे छे, हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे के एम कही यावत्-विहरे छे. ॥ ४३ ॥ १ शतके भगवत् सुधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद्भगवतीमत्रना प्रथम शतकमा चोथा उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण थयो. | उद्देशः ५ 11५८॥ उद्देशकः ५ कतिणंभंते पुढवीओ पन्नत्ताओ?, गोयमा! सत्त पुढवीओ पन्नत्ताओ, संजहा-रयणप्पभा जाव तमतमा ॥ इमीसे गं भंते ! रयणप्रभाग पुढवीए कति निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता?, गोयमा! तीसं निरयावाससयसह-18 स्सा पन्नत्ता, गाहा-तीसाय पन्नवीसा पन्नरस दसेव या सयसहस्सा। तिन्नेगं पंचूर्ण पंचेव अणुत्तरा निरया॥१॥ केवइया णं भंते! असुरकुमारावाससयसहस्सा पन्नत्ता?, एवं-चउसट्ठी असुराणं चउरासीई प होइ नागाणं। पावत्तरि सुवन्नाण वाउकुमाराण छन्नउई ॥१०॥ दीवदिसाउदहीणं विज्जुकुमारिदणियमग्गीगं । छहंपि जुयलयाणं छावत्तरिमो सयसहस्सा ॥११॥ केवइया णं भंते! पुढविष्काइयावाससयसहस्सा पण्णता?, गोयमा! असंखेजा पुढविक्काइयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, गोयमा! जाव असंखिजा जोतिसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता । सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवइया विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता', गोयमा! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता, एवं-बत्तीसट्टाबीसा बारस अट्टचउरो सयसहस्सा । पन्ना चत्तालीसा उच्च सहस्सा सह For Private and Personal Use Only
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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