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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३ शतके उमेशः ॥३१५॥ देविवस्स देवरसो वेममणस्स महारत्रो इमे देवा अहावचाभिमाया होत्या, तंजहा-पुण्णभो माणिभरे सालिभर व्याख्या सुमणभद्दे चके रक्खे पुनरक्खे सव्वाणे [पव्वाणे] सब्बजसे सब्वकामे समिद्ध अमोहे असंगे, सकस्स णं प्रज्ञप्तिः देविंदस्स देवरम्रो वेसमणस्स महारनो दो पलिओषमाणि ठिती पण्णत्ता, अहायपाभिण्णायाण देवाणं एग पलिओवमं ठिती पण्णता, एमहिड्दीए जाव वेसमणे महारायाब्ब । सेवं भंते २॥ (मू० १६७)॥ तृतीयशतके सप्तमोरेशकः समाप्तः॥३-७॥ ___ लोढानी खाणो, कलाइनी खाणो, तांबानी खाणो, सीसानी खाणो, हिरण्यनी, सोनानी, रत्ननी, अने वजूनी खाणो, वसुधारा, | हिरण्यनी, सुवर्णनी, रत्ननी, वजूनी, घरेणानी, पदिदानी, फुलनी, फळनी, बीजनी, माळानी, वर्णनी, चूर्णनी. गंधनी अने वखनी, वर्षाओ, तथा ओछी के वधारे हिरण्यनी, सूवर्णनी, रत्ननी, वजूनी, आभरणनी, पत्रनी, पुष्पनी, फळनी, बीजनी, माल्यनी, वर्णनी, चूर्णनी, गंधनी, वखनी, भाजननी, अने क्षीरनी वृष्टि, सुकाळ, दुकाल, सोंधारत, मोंघारत, मिक्षानी समृद्धि, मिक्षानी हानि, खरीदी, | वेचाण, घी अने गोळ विगैरेनो संघरो करवो, अनाजनु संघरवू, तथा निधिओ, निधानो, घणां जूनां नष्ट धणिवाला, जेनी संमाळ करनार जण ओण के एवा, प्रहीन मार्गवाला, जेना घणिना गोत्रोनां घरो विरल थयां के एवा. नणिआता, जेनी संभाळ करनार || जनो नामशेष छे एवा, जेना धणीनां गोत्रोनां घरो नामशेष छे एवा अने सिंगोळाना घाटवाळा मार्गमा, तरमेटामा, चोकमां, चत्वरमां, चार शेरीओ ज्यां मेगी थाय एवा मार्गमा, राजमागोमां अने सामान्यमार्गोमां, नगरनी पाणीनी खालोमा, गटरोमां, मसाणमा, |पहाड उपरना घरमां, गुफामां, शांतिधर-धर्मक्रिया करवाना ठेकाणामां पहाडने कोतरीने बनावेल घरमां, सभाने स्थाने अने रहेवाना ॐॐॐ ****5 For Private and Personal use only
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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