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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥ ३०८ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भळेला नथी, अणसमरेला नथी अने अविज्ञात नथी अथवा ते बघा सोमकायिक देवोथी अजाण्या नथी. देवेंद्र, देवराज शुक्रना सोम महाराजाने आ देवो अपमत्यरूप=पुत्र जेवो अभिमत मानीतो छे:- अंगारक, मंगल, विकोलिक = अठासी ग्रहोमांनी एक ग्रह. लोहिताक्ष शनैश्वर, चंद्र, सूर्य, शुक्र, बुध, बृहस्पति अने राहु. देवेंद्र, देवराज शक्रना सोम महाराजानी आवरदा त्रण भाग सहित पल्पोपमनी छे अने तेना अपायरूप, अभिमत देवोनी आवरदा एक पल्योपमनी कही छे, -ए प्रकारनी मोटी ऋद्धिवाको अने यावत् मोटा प्रभावशाली सोम महाराजा छे. ।। १६४ ॥ कहिणं भंते! सक्क्स्स देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारनो वरसिट्ठे णामं महाविमाणे पण्णत्ते !, गोयमा ! सोहम्मवर्डिसयस्स महाविमाणस्स दाहिणेणं सोहम्मे कप्पे असंखेवाएं जोयणसहस्साई वीवतित्ता एत्थ णं सक्करस देविंदस्म देवरन्नो जमस्स महारन्नो वरसिट्टे णामं महाविमाणे पण्णत्ते अद्धतेरस जोगणसयसहस्साई जहा सोमस्स विमाणे तहा जाव अभिसेओ रापहाणी तहेव जाव पासाग्रपंतीओ ॥ सकस्स णं देविंदस्स | देवरत्नो जमस्स महारनो इमे देवा आणा० जाव चिट्ठति, तंजहा-जमकाइयाति वा जमदेवकाइयाइ वा पेयकाइया इ वा पेयदेवकाइयाति वा असुरकुमारा असुरकुमारीओ कंदप्पा निरययाला आभिओगा जे पावने तहप्पगारा सच्वे ते तभत्तिगा तप्पक्खिया तव्भारिया सस्स देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारनो आणाए जाब चिति ॥ जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाई इमाई समुप्पांति, तंजहा हे भगवन् ! देवेंद्र, देवराज शकना यम महाराजानुं वरशिष्ट नामनुं महाविमान क्यों आव्युं क छे ? [अ०] हे गौतम! For Private and Personal Use Only ३ शतके उद्देशः ७ ||३०८||
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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