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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३ शतके व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥२२९॥ उद्देशः ॥२२९॥ 6-1546434646 आलिहिता संलेहणायूसणाझूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्म पाओवगयस्स कालं अणवकंग्वमाणस्म विहरित्तएत्तिक गवं संपेहेड, एवं संपेहेत्ता कल्लं जाव जलते जाव आपुच्छह २ तामलित्तीय [एगते एडेड) जाव जलंते जाव भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगमण निवन्ने । त्यारपछी ते मौर्यपुत्र तामली ते उदार, विपुल, प्रदत्त अने प्रगृहीत बालतपकर्मवडे मुकाइ गया, लुखा थया, तेनी वधी नाडीओ उपर देखाइ आधी एवा ते दुर्बल थया. त्यारपछी कोइ एक दिवसे मधराते जागता जागता अनित्यता संपंधे विचार करता ते तामली चालतपस्वीने आ ए प्रकारनो यावत् विकल्प उत्पन्न थयो के:-९ आ उदार, विपुल, यावत्-उदय, उदत्त, उत्तम अने ६ महाप्रभावशालि तपकर्मबडे सकाइ गयो छ, रुक्ष थयो छु, अने यावत्-मारी घधी नसो शरीर उपर देखाई आवी. माटे ज्यांसुधी मने उत्थान के, कर्म छे, बळके, वीर्य छे अने पुरुषाकार पराक्रम छे त्यांसुधी मारुं श्रेय एमाहे के हुँ काले अलंत सूर्यनो उदय थया पछी ताम्रलिप्ती नगरीमा जइ में देखीने बोलावेला पुरुषोने, पाखंडस्थोने, गृहस्थोने, मारा आगळना ओळखिताओने, तपस्वी थया पछीना मारा पिश्चानवालाओने पूछीने, ताम्रलिप्ती नगरीनी वचोवच नीकळीने, चाखडी, कुंडी वगेरे उपकरणोने अने लाक- | डाना पातराने एकांते मूकी ताम्रलिप्ती नगरीना उत्तरपूर्वना दिग्भागमा इशानखूणामां. निवर्तनिक मंडळने आळेखी संलेखना तपबडे आत्माने सेवी, खावा पीवानो त्याग करी, वृक्षनी पेठे स्थिर रही, काननी अवकांक्षा सिवाय विहरवू श्रेयस्कर के. एम | विचारी काले ज्वलंत सूर्यनो उदय थया पछी, पूछे हे, तेओने पूछी ते तामली तपस्वीए पोताना उपकरणोने एकांते मुक्यां, यावत्-तेणे आहारपाणीनो त्याग कर्यो अने पादोपगमन नामर्नु अनशन कयु. For Private and Personal use only
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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