SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 215
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥ २०९ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एम कही द्वितीय गौतम अग्निभूति अणगारे श्रमण भगवंत महावीरने वांदी, नमी, जे तरफ तृतीय गौतम वायुभूति अनगार हता ते तरफ जवानुं कर्तुं अने त्यां जड़ने ते अग्निभूति अनगारे वायुभूति अनगारने आ प्रमाणे कनुं केः- हे गौतम! ए प्रमाणे निश्चित छे के, असुरेंद्र असुरराज चमर, एवी मोटी ऋद्धिवाको छे, इत्यादि बधुं चमरथी मांडीने तेनी पट्टराणीओ सुधीनुं अष्टष्ट व्याकरणरूप वृत्तांत अहीं कहे. त्यारपछी अग्निभूति अनगारे पूर्व प्रमाणे कहेली, भाषेली, जणावेली अने प्ररूपेली ए वातमां ते तृतीय गौतम वायुभूति अनगारने श्रद्धा बेसती नथी, विश्वास आवतो नथी अने ए वात तेओने रुचती नथी. हवे ए बातमां अश्रद्धा करता, अविश्वास आणता अने ए बात तरफ अणगमात्राळा ते तृतीय गौतम वायुभूति अनगार पोताना आसनथी उठी श्रमण। भगवंत महावीर तरफ गया अने त्यां जह तेओनी पर्युपासना करता आ रीने बोल्या:- हे भगवन् ! द्वितीय गौतम अग्निभूति अन| गारे मने सामान्य प्रकारे कशुं, विशेष प्रकारे कर्बु, जणाव्यं अने प्ररूप्यं के "असुरेंद्र, असुरराज चमर एवी मोटी ऋद्धिवाको छे अने यावत्-एवा मोटा प्रभावत्राको क्रे के, ते त्यां चोत्रीशलाख भवनात्रासो उपर स्वामिपणुं भोगवे छे, इत्यादि बधुं पट्टराणीओ सुधीनुं वृत्तांत अहीं पूरेपुरु कहे" ते ए तेज प्रमाणे केवी रीते है ? [उ०] हे 'गौतम' वगेरे आमंत्री श्रमण भगवंत महावीरे ते त्रीजा गौतम वायुभूति अनगारे तने जे सामान्य प्रकारे कछु, विशेष प्रकारे कछु, जगायं अने प्ररूप्यं के, - हे गौतम! अरे, असुरराज चमर मोटी ऋद्धिवाळो छे, इत्यादि बधुं तेनी पट्टराणीओ सुधीनुं वृत्तांत अहीं कहे" ए बात साची छे अने हुं पण एमज कहुं छु, भाएं छु, जणानुं छू, अने प्ररूपं छु के असुरेंद्र, असुरराज चमर मोटो ऋद्धिवालो के इत्यादि तेज रीते यावत्-पट्टराणीओ सुधीनी हकीकतवाळो बीजो गम कहेवो. अने ए बात साची छे. हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे छे, हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे छे एम For Private and Personal Use Only ३ शतके उद्देशः १ ॥२०९॥
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy