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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit ले असंखेनप एसिए असा जीवे अर्णता णाणतओ जीवे सो व्याख्या प्रज्ञप्तिः शतके रेशः १ १४०॥ ॥१४०॥ जीचे सते, खेत्तओ णं जीवे असंखेजप एसिए असंखेजपदेसोगाढे, अत्थि पुण से अंते, कालओ णं जीवेन यावि न आसि जाव निचे नत्थि पुण से अंते, भावओ णं जीवे अणंता णाणपजचा अर्णता सणप० भर्णता| परित्तप. अणंता अगुरुलहुपप०, नत्थि पुण से अंते, सेतं दवओ जीवे सअंते खत्तओ जीवे सअंते कालओ जीवे अणते भावओ जीवे अणते । जेवि य ते खंदया पुच्छा [इमेयारूवे चिंतिए जाव संअता सिद्धी अर्णता सिद्धी, तस्सवि य णं अयमद्वे-स्वंदया! मए एवं स्खलु चउबिहा सिद्धी पण्ण, तं०-दव्यओ४. दवओणं एगा सिद्धी खेत्तओ ण सिद्धी पणयालीसं जोयणसयसहस्साइं आयामविखंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसंच जोयणसयसहस्साई तीसं च जोयणसहस्साई दोन्नि य अउणापनजोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्वेवेणं, अत्थि पुण से अंते, कालओण सिद्धीन कयाविन आसि०, भावओ य जहा लोयस्स तहा भाणियब्वा, तत्थ दब्बओ सिद्धी सअंता ख० सिद्धी सअंता का सिद्धी अणंता भावओ सिद्धी अणंता । जेवि य ते खंदया! जाब किं अणंते सिद्ध तं चेव जाव दधओ ण एगे सिद्धे सते, स्व०सिद्ध असंखेजपएसिए असंखेजपदेसोगादे, अत्थि पुण से अंते, कालोणं सिद्धे सादीए अपज्जवसिए, नथि पुण से अंते, भा० सिद्धे अणंता णाणपजवा अणंता सणपजवा जाव अणं ता अगुरुलहुयप०, नत्यि पुण से अंते, सेत्तं दचओ सिद्धे सते खेत्तओ सिद्ध सअंते का सिद्धे अणते भा. सिद्धे अणते।॥८॥ वळी हे स्कंदक ! तने जे आ विकल्प थयो हतो के, शुं जीव अंतवाळो छे. के अंत विनानो छ ? तेनो पण आ खुलासो छे. For Private and Personal Use Only
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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