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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अहिफेनम्, -कम् ८३ -बं० | टर कांकड़ी-मह० । ( 'Trichosan- | अहिफेनासवः ahiphenasavah - सं० पुं० thes anguina.) यह श्रासव प्रतिसार तथा त्रिसूचिका के लिए हितकारक है। अहिफेनम्, -कम् ali-phenam, kam - सं० पू० की ० अहिफेन ahiphena - हिं० संज्ञा पुं० (१) नागफेन, अफीम- हि० | स्वनानाख्यात सारजवर्गीयोपविष । श्राफिम् बं० । अफून, श्रफू कड़री - मह० । श्राफन-माल० । नलमुण्ड - तै० । Opium poppy (Papaver somniferum.) देखो - अफीम । ( २ ) सर्प के मुँह की लार वा फेन । ( 'T'be saliva or venom of a snake.) अहिफेन वटिका abhi- phena vatika-सं० स्त्री० अतिसारोक रस विशेष । खजूर, पिंड खजूर | र० सा० सं० । अहिफेनपाक : ahiphenapakh सं० पुं० १६तो० शुद्ध अफीमको १६ सेर दूध और श्राधसेर घी में पकाएँ । ढा होनेपर 11⁄2सेर शक्कर मिलाएँ; फिर जायफल, लवङ्ग, आवित्री, नागकेशर, अकरकरा, समुद्रशोष, कपूर, चन्दन, त्रिकुटा, धस रं के बीज, मुसली, तगर, शुद्ध सफेद गुरौंजा, चण्य, बीजेबंद, करंज, चित्रक, पीपलामूल, जीरा, अजवाइन, बला, गोखरू, बबूल की गोंद और शिलाजीत प्रत्येक एक एक तो० चूर्णकर मिलाएँ। इसमें भंग चूर्ण १६ तो०, बंग, ताम्बा, लोहा, अभ्रक, पारा की भस्म प्रत्येक १-१ तो० मिलाकर घोटे और कस्तूरी तथा अगर से सुवासित करके रखले' । इसे पाचन शक्ति के अनुसार खाए और ऊपर से भैंस का दूध पिए तो मनुष्य १०० स्त्रियों के साथ गमन कर | सकता है। इससे स्त्रियों का बन्ध्यापन, पुरुषों की नपुंसकता, खाँसी, दमा, शीत, अपस्मार, उरःक्षत, उन्माद, पाण्डु रोग, ८० प्रकार के वातरोग, कफ रोग, हिचकी, प्रमेह, आमवात, . जुकाम और अतिसार नष्ट होते हैं। अहिफेन वीजम् ahiphena-vijam-to ली० खसखस, पोस्ते का बीज । पुस्त, थाक्मि - बं० 1 Poppy seeds ( Seeds of Papaver somniferum,) | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तक योग तथा निर्माण-विधि - मधूक मद्य (महुआ की सुरा ) १०० पल, श्रकीम ४ पल, नागरमोथा, जायफल, इन्द्रयव तथा एला प्रत्येक १-१ पैल इन सबको बर्तन में बन्दकर एक मास रखेंौं । मात्रा-१० से ३० बूंद । भैष० । अहिर्बल ahibela - हिं० अहिली, प्रा० श्रहिबेली ] अभयदा ahibhayada - सं० ख० भूम्यामलकी, भूँई श्रामला । ( Phyllanthusc Aneruri ) रा० नि० व० ५। श्रहिभुक् bibhuk - सं० पु० ( १ ) मयूर ।.. ( A peacock ) रा० नि० ० १६ । ( २ )ताच्यौं । (See-tárkshyam)मे॰ । (( ३ ) क्षुद्र सापसंद नामक प्रसिद्ध । ( ४ ). नाकुली नामक महाकन्द शाक ( Vanda Roxburghii )। ( ५ ) गन्ध नकुलो । '( Ophioxylon' serpentinūm.) ० नि० ० ७ । See - Nákuli अहिमणि Đhi-mani-हिंοस्त्री० सर्पमणि । For Private and Personal Use Only संज्ञा स्त्री० [सं० नागबेलि | पान | हिमनी ahi-marddani - सं० स्त्री० गन्धनाकुली । रास्ना विशेष बं० | (Ophioxylon serpentinum . ) हिलता विशेष । सापसंद - पश्चि० रा० नि० ० ७ | देखो - नाकुली । अहिमारः, -क: ahimárah, kah-सं० पू० विट्खदिर, दुर्गंधि- खैर, अरिमेद । गुये बाबला - बं० । गन्धीहिवर - मह० (Acacia farnesina, Willd. ) रा० नि० ० ८ । अहिमेदः, -कः ahi-meda, kah - सं० पु० विखदिर, अरिमेद । ( Acacia farnesiana, Willd. )रा० नि० ० ८ । अहिय्यह: ahiyyah - श्र० ( ० ० ), हय्यु ( ए० व०) सजीव, चैतन्य, जीवधारी, जीवित, जिन्दा । एलाइव ( Alive ) - (० । J
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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