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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवरम् अवरोधक . हिं० प.० (,) वह वस्तु जिसके बहुत से धने- । (Coriandrum sativum.) अवयव हों । (२) देह । शरीर। रा०नि०व०६। --वि० [सं०] ( १ ) जिसके और बहुत से । अवरी avari-गु० ( १ ) शिम्बी, सेम | अवयव हों। अंगी। ( The flat bean.) फा० ई० १ (२) कुल | संपूर्ण । समष्टि । समूचा।। भा०। अवरम् avaram--सं० क्ली। हाथी की जाँघ ___-मल०, सिंगा० नील-हिं० । ( Indiअवर avara-हिं० वि० का पिछला भाग, gofer Indica.) इं० मे० मे० । श्रम। अवरो की avariki-कना० तरवड़-हिं० । अवर aavar-अ० काना होना, एक नेत्र से हीन (Cassia : uriculata, Linn. ) होना । ( To be Blind.) काने मनुष्य अवरुद्ध avaruddha-हिं० वि० [सं०] को तिब (वैद्यक ) में अवर कहते हैं। रुंधा हुा । रुका हुश्रा । अटकाया गया, रुका अवर गिडा avar-gida-कना० तरवड़-हिं० (Obstructed ) । (२) आच्छादित । ( Cassia Auriculata, tin.) फा० गुप्त । छिपा ।। इ.१ भा०। अवरुद्धा avaruddha -हिं० संज्ञा स्त्री० [सं०] अव रज avaraja-हिं० संज्ञा पु० [सं०] [स्त्री० ___वह स्त्री जिसे कोई रखले । उदरी । रखुई । . अवरजा ] कनिष्ट भ्राता, अनुज, लहुरा भाई, रखनी । छोटा भाई (A younger brother.)। अवरूढ़ avarir ha-हिं० वि० [सं.] ऊपर से ( २ ) नीच कुलोत्पन्न । नीच ।। नीचे पाया हुश्रा । उतरा हुश्रा । प्रारूढ़ का अवरजा avara ja-हिं०संज्ञा स्त्री० कनिष्ठा भगिनी, उलटा । ___ छोटी बहिन । ( A youngel siste1.) अवरोध avarodha-हिं० संज्ञा पु० [सं०] अवरण avarant-ह. संज्ञा पु० (१) - सुद्दा, रुकावट, रोक, अटकाव । हिण्ड्रन्स( Hin. दे० श्रवण । (२) देखो आवरण । drance ), ऑब्सट्रक्शन (Obstructअवर दारुकम avara-dalukam-सं० क्ली० ion.)-ई। (२) निरोध । बंदकरना । तन्नामक स्थावर विपान्तर्गत पत्रविष । सु०कल्प अवरोध उद्धाटक avarodha-udghatak २० । देखो-पत्रविषम् । -हिं० पु. देह के छिद्रों को खोलने वाली अवरव्रत avaya-Vrata-हिं० संज्ञा पु० [सं०] औषध । वह औषध जो अपनी उष्मा के कारण (१) सूर्य । (२) पाक । मदार ।। स्रोतावरोध को खोले, और सुद्दा (अवरोध ) अवराई avalii-ता० तरवड़-हिं० संत्रा स्त्री० प्रभृति को दूर करे । मुनत्तिह, मुफ़त्तिहुस्सुदद, (Cassia aur culata, Linn.) go मुज़रियलुस्सुदद-अ० । अभिष्यन्द रोकने वाला। मे० मे। डीअाब्स टुएण्ट ( Deobstruent.)-ई। अवगम् avra n-अ० (ब. घ.), वर्म (ए. अवरोधक avarodhak-हिं० वि० [सं०] व०) प्रामास -फ़ा०। सूजन, शोथ, श्वयथु देह के छिदों को रोकने वाली औषध, सुद्दा -हिं० । स्वेलिंग ( Swelling.)-इं०। डालने वाली औषध, वह औषध जो अपनी अवराम मगाबिन avarām-maghābin शुष्कता वा स्थूलता के कारण नालियों में रुक जाए और उनको बन्द करदे । मुसहिद ( ए० -अ० मग़ाबिन अर्थात् बगल, जंघासा और व०), मुसहि दात(ब० व०)-अ० । अाब्सट वंक्षण का शोथ जो प्लेग के अतिरिक्त होता है। एण्ट (Obstruent.)-ई। ब्युबोज ( Bubos. )-इ० । देखो-खैर्जील (२) ( Insulator.) रोधक , अपरि श्रवरिका avarikā-सं० स्त्री० धन्याक, धनिया । चालक। For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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