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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवध्वंसः श्रवपीड़: अवध्वं तः avadhvansah--सं अवनाटः avanatah-सं. त्रि० नतनासिका, अवध्वस avadhvansa-हिं० संज्ञा पु० । मुकी नाक वाला, चद्रनासा युक्र | श्रम। [वि० अवध्वस्त ] (१) अवचूर्णन, चूर्ण करना अवनि avari ) . . (To powder, Powdering.) मे० । -हिं० संज्ञा स्त्री० [सं०] (२) चर्णन | चूर चूर करना । नाश । (३) अवनी avani परित्याग | छोड़ना । ( ४ ) देह को जलाकर पृथ्वी, ज़मीन, अवनितल । नष्ट करने वाला । अथर्व । सू० २२ । ३। अवना avana ) . का०५। --सं० स्त्री० (१) त्राय अवनी : vani अवध्वस्तः avadlivastah--सं० त्रि. अब. ___ माणा ( See--Trāyamānā. ) रा० नि० चूर्णित, चूर्ण किया हुआ । ( Powdered ). व०५ । अवनत कर्णीय avanata-karniya-सं० स्त्री० स० स्ना० अवनीसारा avanisāra-सं० स्त्री. ( Musa 1 Obliquus auriculae)। शकलीया ___sapientum.) कदली, केला ! वै निघ० । प्रसरला। श्रवनेजन avine jana-हिं० संज्ञा पु. [सं०] अवनत पादांगुणाकर्षणी avana.ta-pādāngu. धेना, प्रक्षालन । shthakarshani-संस्त्री० (Adductor अवन्ति(न्नी) सोमम् avanti,-nti,-somamhallucis obliquus.) पादांगुष्ट अंतर संकली. कॉजी, काञ्जिक । प० मु० । हारा०। नायिनी असरला। रा०नि० व०१५ ( See--Kanjika) प्रवनम् avanam-सं० क्ली. . अवपतन avapatana-स. की ऊपर से अवन avana-हिं० संज्ञा पु. । ' आना, गिराव, नीचे गिरना। वा० सू० १२ णन। तृप्तिकरण । प्रसन्न करना । (Satisfy. ing.) अ०। (२) प्रीति । अवपाटिका avapatika-ल. स्त्री [स अवनि ] जमीन | भूमि । न्तर्गत शूक रोग। लक्षण-लिंग के चर्म को अवनत मान्दिरः avanata-mandirah-सं० बहुत मलने अथवा दब जाने या वीर्य का वेग रुक प. (Oblique popliteal.) जाने श्रादि कारणों से यदि लिंग के ऊपर का चर्म अवनम्र avinamra-सं० झुका हुआ। ( Be- फट जाए तो उसे "अवपाटिका" कहते हैं । यथा- nt). 'यम्यावपाट्यते चर्मतांविद्यादवपाटिकाम' । प्रचनत-सूत्रम् avana ta-sutram-सं० क्ली. .सु. नि० अ० १३ । यह एक रोग है जो ( Oblique cord.)। झुका हुआ या वक्र लघुछिद्र योनिवाली और रजस्वला-धर्म रहित तन्तु। स्त्री से मैथुन करने से, हस्त-क्रिया से, लिंगेन्द्रिय अवनतात.ष्टाकर्षणी avanatangus htha के बन्द मुंह को बलात्कार खोलने से अथवा karshani-स. स्त्री० ( Adductor निकलते हुए वीर्य को रोकने से हो जाता है। pollicis obliquus. )। इस रोग में लिंग को. आच्छादित करने वाला अवनति avanati-हि० संज्ञा स्त्री० [सं०] चमड़ा प्रायः फट जाता है। मा० नि० । अवपात avapāta-हिं० सज्ञा, पु. [स] झुकाव, झुकाना। (१) गिराव | पतन । अधःपतन । भवनत avanate-हिं० वि० [सं०] (१) (२) गड्ढा । कुण्ड । नीचा, झुका हुआ। ( oblique.) ! (२) गिरा | अवपीड avapida-हिं० प० । हुा । पतित । अधोगत । । पाँच प्रकार अवपीडः avapidah-स.पु. ) For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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