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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवकेशी ७२१ अवगुठित अव केशी avakeshi.सं. त्रि० (१) अफल वृक्ष [वि. अवगाहित ] स्नान करण, नहाना, पानी ( Fruitless tres ) हे० च० । (२) बाँझ, में हलकर स्नान करना, मजनपूर्वक स्नान, बन्ध्या (Sterile )। निमजन, डुबकी लगाना । अवकृत avakrita-सं० प.. व्रण भेद । वा० __ संस्कृत पर्याय-अवगाह;, वगाहः, निमउ० प्र०२६। जनं, शिरः स्नानम्, अम्भसि मजन (के०)। अवक्रः a vakrah-सं.पु. सरल वृक्ष, चीड़, धूप । ( Bathing, ablution. )। (२) सरल । ( Pinus longifolia.) सात मथन । विलोडन । (३)प्रवेश । पैठ । गाछ-बं०। वगाह(न)स्वेदः avagāha-( na) sve. अवक्रांति avakranti-हिं० संज्ञा स्त्री० [सं०] | dah-सं० अवगाहन द्वारा स्वेद कर्म (१) अधोगमन | उतार । गिराव। (२) करना। मुकाव । विधि-द्रव स्वेदान्तर्गत कहे हुए द्रव्यों को एक अवलिन avaklinna-हिं० वि० [सं० कुडमें अथवा एक बड़े पात्र में भरकर रोगीको उस श्राद्र, गीला, तर, भीगा हुआ। में बैठादे। यह रोगी ऐसा हो जिसके सर्वाग में अवक्वाथ avakvātha-हिं० पु. अजी कादा बात वेदना होती हो अथवा अर्श और मूत्रकृअपक्क क्वाथ । च्छादि रोगों में इस तरह किया जाता है। बर्तन अवखात a.vak bata-हिं० संज्ञा पुं० [सं०] कोई हो पर इतना बड़ा होना चाहिए जिसमें गहरा गड्ढा । रोगी कंठ तक बैठ जाए। खाट के नीचे एक गढ़ा अवगएडः avagandah-सं० पु. गण्ड देशमा खोदकर उसमें वातनाशक लकड़ी उपले भरकर व्रण । वयेस फोड़ा-बं । पुटकुली-मह. श्राग लगाकर निधूम अंगार कर लिए जाएं, त्रिका फिर रोगी को उस खाट पर शयन कराया जाए। अवगथः avagathah-सं० पु. प्रातः स्नान । इसका नाम कूप स्वेद है। इसी तरह कुटी स्वेदादि ( Morning bath.) के लक्षण अन्य ग्रंथों से जानना चाहिए। वा० अवगाढ़ avagārha-हिं० वि० [सं०. सू०१७०। (१) निविड । छिपा हुआ । (२) प्रविष्ट । ६रू अवगाहना avagāhana-हिं० क्रि० अ० [सं० हुअा । निमग्न । अवगाहन ] (१) हलकर नहाना | निमज्जन अवगाढः avagārhah ) ६.सं०० विच्छिन करना । (२) डूबना । पैडना । घुसना । मग्न अवघृष्टः avaghrishtah होना । व्रण। वा०३० अ० २६ । वगाहित avagāhita-हिं० वि० [सं०] अवगाहः avagāhah-सं. त्रि०, पु. नहाया हुश्रा । अवगाह avagaha-हिं० वि० [सं० अवगाध] वगीर्णः avagirnah-सं० पु. अपान द्वारा अथाह, बहुत गहरा, अत्यन्त गम्भीर । निकला हुआ द्रव्य । संज्ञा पु. गहरा स्थान । स्नानगृह । गुसत अवगुण्ठनम् avagun thanam-सं० क्ली० । खाना । स्नानागार । अवगुठन avagunthana-हिं० संज्ञा पण संज्ञा पु० [सं०]()भीतर प्रवेश । हलना। [वि० अवगुठित ] योषित शिरः प्रावरण, स्त्री (२) जल में हल कर स्नान करना | निमज्जन ।। मुखाच्छादन, धूं घट, बुर्का( A veil.)। (२) ( Bathing, a blution) ढंकना । छिपाना । (३) पर्दा । अवगाहनम् avagāhanam-सं० लो० ) अवगुण्ठितम् avagunthitam-सं० क्ली० । अवगाहन avagāhana-हिं० संज्ञा पु. अवगुठित avagunthita-हिं० वि० ) For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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