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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रगोटा अगोटा लाइक्वार आर्सेनिकैलिस ३ मिनिम क्वीनीन सल्फ २ ग्रेन एसिडम सल्फ्युरिकम डिल मिनिम एक्वा एनिसाई १ प्राउंस ___ यह एक मात्रा है। आवश्यकतानुसार ऐसी ही एक एक मात्रा औषध दिन में दो-तीन बार ... भ्रूण के पक्ष में भयावह होता है। अपरञ्च यदि भ्रूण जरायु द्वारा विसर्जित न हो तो जराय के बलपूर्वक प्राकुञ्चित होने पर स्वयं गर्भाशय के विदीर्ण हो जाने की आशंका होती है। अस्तु । यदि वस्तिगह्वर में कोई विकार न हो और भ्रूण उदर के भीतर पाड़ा या किसी विकृत रूप में न हो एवं कोई अन्य कारण प्रसव के लिए रोधक वा अहितकर न हों तथा गर्भाशयिक द्वार भली प्रकार खुल गया हो और गर्भाशय की शिथिलता के कारण प्रसव में विलम्ब हो रहा हो तो अर्गट को प्रसव की दूसरी वा तीसरी श्रेणी में भी बर्तना उपयोगी है। रोग-निर्माण विषयक आदेश(१) अगट एक अनाशुकारी विष है । अस्तु कचित काल इसके एक प्राउंस लिक्विड एक्सट्रैक्ट को एक ही मात्रा में देने से विषाक्त लक्षण नहीं उपस्थित हुए। (२) इसके सथः निर्मित फांट और इसके अमोनित यौगिक उदाहरणतः अमोनिएटेड टिंक्चर ऑफ अगट अपेक्षाकृत अधिक विश्वस्त योग हैं। (३) नोरोफॉर्म वॉटर और टिंकचर श्रॉफ ओरेन के योजित करने से अगट के कुस्वाद का निवारण हो जाता है। (४) लिक्विड एक्सट्रैक्ट ऑफ़ अगट को परनोराइड ऑफ बायर्न के साथ मिश्रित करने से जब मिश्रण श्यामवर्ण का हो जाता है, तब उसमें किञ्चित् निम्बुकाम्ल ( Citric acid ) के मिलाने से उसका शुभ्र वर्ण होजाता है। (५) अगोटीन को वटिका रूप में वा कैपशूल में डालकर दें। इसके स्वस्थ अन्तःक्षेप करने के लिए नितम्ब स्थल को गम्भीर पेशी श्रेष्ठतर है। उदर की दीवार में इसका स्वगीय अन्तःक्षेप नहीं करना चाहिए । स्वस्थ अन्तःक्षेप . के परचात् उक्त स्थल प्रायः शोययुक्त हो : जाता और वहाँ पर फोड़ा बन जाया करता है। परीक्षित प्रयोग (.) एक्सट्रक्टम अगोटी लिक्विडम ड्राम ' लाइक्वार स्ट्रिक्नीनी २मिनिम प्रयोग-प्रसव के पश्चात् ज्वर होने की दशा में अथवा ज्वर के न रहने पर भी इसका उपयोग लाभदायक है। (२) एक्सट्रैक्टम अगोटी लिक्किडम् ३० मिनिम लाइक्कार स्टिक्नीनी ३ मिनिम एक्कापाइमेण्टी ( या मेन्थी) पाउंस पर्यन्त ऐसी एक एक मात्रा औषध प्रति तीन-तीन घंटे पश्चात् दें। प्रयोग-रुकी हुई आँवल के निकालने अर्थात् अमरापातन हेतु गुणप्रद है। (६) एक्सट्रैक्टम अगोटी लिक्विडम ४० मिनिम एसिड गौलिक १. ग्रेन एक्वासिनेमोमाई १ श्राउंस पर्यन्त ऐसी एक मात्रा औषध तत्क्षण पिलादें। श्रावश्यकता होने पर कुछ घंटे पश्चात् एक मात्रा और दें। __ प्रयोग-जरायु द्वारा रक्तस्राव होने (Uterine haemorrhage) में लाभप्रद ( ४ ) एक्सट्रैक्टम अगौटी ग्रेन एक्सट्रैक्टम गॉसीपियाईग्रेन फेराई सल्फास एक्सीकेटा १ ग्रेन एक्सट्रैक्टम एलोज सोकोट्राइनी १ ग्रेन सब की एक वटिका प्रस्तुत करें और ऐसी एक एक वटी दिन में दो बार दे। प्रयोग-- रजाप्रवत्तक है। (२) एक्सट्रैक्टम अगोंटी लिक्विडम ३० मिनिम पोटासियाई प्रायोडाइडाई ३ ग्रेन अमोनियाई कार्ब २ ग्रेन एका मेन्थी पेप०१ पाउंस पर्यंत For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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