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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्क पुष्पा ६३२ अर्क बरिासिफ़ जदीद अर्क पुष्पा aka-pushpa सं० स्त्री. क्षीर- सेब,बिही हर एक डेढ़ (50) सेर, दाख मी 7, काकोली । क्षीर काँकल-01 देखी-क्षीर. अमरूद हरएक एक सेर, रिश्क का रस २० काकोली (Kshira kakoli) तो०, सफेद चन्दनका वुरादा प्राधासेर,इनमें यथा अर्क पुष्पिका arkn-pushpika विधि अर्क परिनु त करें । पुनः उतनी हो औषध अर्क पुष्पी arka-pushpi उक्त अर्क में डालकर दोबारा अर्क खींचें । -सं० स्त्री. (१) सूर्य वल्ली। अन्धाहुली, ___ मात्रा व सेवन-विधि--३ तोला अर्क अर्क सदृश पुष्पी लता, अर्कहुली, क्षीरवृम्, दधि- पान करें। यार-हिं० । श्वेत हुडहुड़िया-बं० । ( Gyan- : गणधर्म--उत्तमांगों को बलप्रदान करता, ndropsis Ceutahylla, Syn. Oleo- ! मालीखोलिया (Melancholia), मुर्छा. me pentaphylla. ) शिरदोड़ी-मह०। भ्रम तथा भय दूर करने के लिए अत्यन्त लाभपर्याय-पयस्या, सूर्य वल्ली, सितपर्णी, शीतपर्णी। दायक सिद्ध हुअा है। र० । भा० ४ म० वाल रो० चिः। । अर्क फौलाद aaj-foulad-अ० लोहे का अर्क, गण-यह कृमि, श्लेष्म, प्रमेह तथा पित्तनाशक ___लोहासव। देखो-लौह । है। मद०व०६। यह कृमि, कफ, प्रमेह तथा मनोविकार नाशक है । भा० पू०१ भा० । (२) अर्कबंधु arka-bandhu-हिं० संज्ञा पुं० [सं०] रक्र अपराजिता | रत्ना० । (३) क्षीर काकोली। पद्म । कमल । The lotus ( See-kshira kakoli.) र० मा० । अर्क बनफ़्शह 'जदीद' aap. banafshah (४) सूर्यमुखी । 'jadid' अ० नूतन बना शार्क । अर्क पुष्पी कल्कम् arka pushpi kalam निर्माण-विधि-बनशा | सवासेर रातको -सं० क्ली० पाकड़ेके फूल गाय के दूध में पीस उष्ण जल में भिगो कर सवेरे ४० बोतल अर्क कर ३ दिन तक रोज प्रातः पीनेसे दाह युक्त प्रवृद्ध परिनत करें और उक्त अर्क में दोबारा उतना ही पथरी का नाश होता है। वृ०नि० र० भा० बनतशा तर करके पुनः दोबारा ४० बोतल अर्क ५ अर्शक! परिनु त करें। अर्क प्रभा गुटि(डि)का arka-pia bhā-guti ___ मात्रा व सेवन-विधि-३-३ तोला प्रातः (di)ka-सं० स्त्री० रसायनाधिकार में वर्णित सायं शर्बत नीलोफर या बनतशा एक तोला रस विशेष । प्रयोगा० रसायना० । मिलाकर पान करें। अर्क प्रकाश arka-prakash-सं०प० रावण गुणधर्म--प्रतिश्याय, नजला तथा शिरःशूल कृत ग्रन्थ जिसमें अर्क के अनेक उत्तम से उत्तम । में अत्यन्त लाभदायक है। ति० फा०२ भा० । योग एवं उनके चुभाने की विधियाँ दी गई हैं। अर्क बरिक्षासिफ़ 'जदाद' alq-barinjasifअर्क प्रिया arka-priya-सं. स्त्री० (१) jadid-१० नूतन बरिक्षासिफ़ार्क । आदित्यभका, हुलहुल । हुडहुड़िया-बं० । निर्माण-विधि--बरिजासिफ़, शुकाई , बादा(Cleome viscosa.)। (२) जवा | वर्द, मकोय शुष्क, सौंफ, मवेज़ मुनक्का, हर एक जपा । अड़हुल । गुड़हर । प्रोड़ पुष्प वृक्ष । अढ़ ४० तो०, गुले गावजुबान २० तो० सम्पूर्ण उल । ( Hibiscus Rosa=sinensis.) औषधों को रात्रि में उष्ण जल में तर करके रा० नि. व. १०। प्रातः काल हरी मकोय का रस ३ सेर योजित अर्क फवाकह जदीद aarq.favākah-jadid कर २० बोतल अर्क परिनु त करें । उक्त -१० निर्माण विधि-अनार अम्ल व मधुर, अर्क में पुनः उपयुक्त औषधों को उतनी For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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