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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६२. अर्क जज सादह, अर्क तम्बाक अर्क जज सादह āarg-jazra-sādah-सादह. __ मात्रा व सेवन-विधि-६ तो० की मात्रा अर्क गाजर । इ० श्रा। में उन अक को सवेरे शाम पीएँ । अक जदीद aar]- jadid-अ० नूतनार्क। ___ गुण-धर्म-जिताबे तुम (बहुमूत्र रोग ) के निर्माण-विधि-अक पुदीना, अक इला- लिए लाभदायक है। यची, अर्क बादियान प्रत्येक ३ तो०, सिकञ्जवीन अक ज़ीरहे विलायती ai.zirnhe-vilaसादा ३ तो०, स्पिरिट अमोनिया ऐरोमैटिक ३० yati-फा०, उ० अर्क करा वयह , कृष्ण जीरबूँद (मिनिम)। सब को शीशी में डालकर भली कार्क, स्याह जीरा का अर्क-हि० । (araway भाँति हिलाएँ जिसमें वे परस्पर मिश्रित होजाएँ। Water (Aqual chadhi) । देखो-कृष्ण मात्रा व सेवन-विधि-३ तो० अर्क अष्ट- जीरक वा स्याह जीरा । वर्षीय बालक को पिलाएँ । दिन में ऐसी अर्क तपेदिक खा.सुलखा स aar-tapodiq. ३ मात्राएँ उपयोग में लाएँ। khasul-khas-यमध्नार्क, राजयक्ष्मा का गण-धर्म-शिशुओं के उदराध्मान एवं मुख्य अर्क । अजीण के लिए अत्यन्त लाभदायक है। निर्माण-क्रम-बर्ग वेद सादा श्राधा सेर, छिली अर्क जावदानी iarq-javidani-अ० । हुई मुलेठी 1 सेर (१ पाच), दोनोंका भलभलाए निर्माण-कम-जायफल, लौंग, बड़ी इला हुऐ ( मुराबी ) कदू जन, भलभलाए हुए तबूज़ जल तथा भलभलाए हुए खीरा जल यची, अामला, बाल छड़, धवपुष्प प्रत्येक १० प्रत्येक २ सेर, नाजे कसरू का पानी, हरे पालक तो०, दालचीनी २८ तो०, बबूल को छाल सम्पूर्ण औषधों से द्विगुण, गुड़ सम्पूर्ण औषधों से के पत्ते का पानी प्रत्येक १ सेर में तर करके सवेरे सत मुलेडी विलायती, सत गिलो देसी चतुगुण । सब को एक मटके पानी में भिगो रखें असली प्रत्येक १ तो. नैचे के मुंह में रखकर जब लाहन उठ श्राए तो अर्क परिनु त करे' और काम में लाएँ। यथा विधि अर्क परिघुत करें। मात्रा व सेवन-विधि-६ तो० इस अर्कमें गुण-धर्म-मूर्छा तथा प्रामाशय पुष्टि के | शर्बत उन्नाब २ तां० मिश्रित कर प्रति दिवस लिए अत्यन्त गुणदायक है। पिलाएं। अर्क जियावे.तुस aar-ziyabetus-१० गणधर्म-राजयक्ष्मा तथा उरःक्षत रोग के मूत्रमेहार्क। लिए अत्यन्त लाभप्रद है । ताप चाहे अकेले तथा निर्माण-विधि-गिलोय सब्ज़, बर्गनेदमादा, उरत के साथ हो यह दोनों अत्रस्थाओं में बर्ग जामुन प्रत्येक एक पाव, गुलनार, तुसमकाहू, लाभदायक है। तुलम खुर्की, मीठे कटू के बीज की गिरी, माज़ तुम पे.., माज़ा तुम तबूज़, तुल कासनी, । अर्क तम्बाकू aur(]tambaku-अ० तमालार्क, गुल नीलोफर, सफ़ेद चंदन का बुरादा, रतचंदन ताम्रकूटार्क । यातग्रस्तता, पक्षाघात, अद्धांग, जलोका बुरादा, खस गुजराती, श्रामला शुष्क, झाऊ दर, वायुजन्य उदरशूलके वायुका लयकर्ता, यकृत प्रत्येक ५ तो० । रात्रि में सम्पूर्ण औषधोंको जल तथा मासारीका के अवरोध का उद्घाटक, जरा. में भिगोकर सवेरे इसमें मलमलाए हुए कह, का युस्थ विकृत दोषों का लयकर्ता एवं क्षुधा विवपानी, भलभलाए हुए खीरा का पानी, बकरी का द्धन के लिए उत्तम है । श्लेष्मज शिरःशूल और दोग़ प्रत्येक २ सेर, हरी कासनी के पत्तेका फाड़ा आमवात के लिए भी गुणदायक है। अर्वाचीन हा पानी १ सेर, शुद्ध जल ७ सेर अधिक डाल । चिकित्सकों के शन्वेषित पदार्थों में से है। कर तबाशीर और सफेद चंदन प्रत्येक ६ मा० योग तथा निर्माण-कम-तम्बाकू पीत एवं नैचा के मुँह में लटकाकर अर्क परिस्र त करें। शुष्क २ सेर १३ छटांक (यदि तम्बाकू हरा हो तो For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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