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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्कालियामास्केटा अकुवायलास अकोलिया मॉस्केटा achillea. moschata पदार्थ जिसमें शहद को हल करके जोश नहीं -ले० यह पाल्पपार्वतीय पौधा है जिसमें कस्तूरी- दिया जाता। हनीवाटर ( Honey watवत् गंध होती है । इसमें उग्र स्वेदजनक तथा | el)- । प्रारोग्यकारक प्रभाव होता है । फा०६०२भा०।। अकरु akuru-सिंगा० गुड़-हि. | कन्द-फा०॥ अकोलिया मिलीफॉलिश्रम् achillea mille. । गूइ-द० । जै गरी (Jaggery of sugal folium, Linn.-ले० परिक्षासिफ, बूये- | eane)-इ० । स० फा० । मादरान-फा० । मोमा-चोपन्दिया-काश० । अकुरु अरक akuru-alak-सिंगा. गुड़ की बरयर-मि०। सयुवर्ट महोदय के कथनानुसार शराब-हिं० । गुड़ की दारू, गुड़की शराब-द०। यह बाजार में बिकने वाला एक पौधा है। इसके (Liquor of Jaggery) स० फा० ई० पुष्प और पन औषध कार्य में आते हैं । इं० मे० अकुलः akulah-सं० त्रि० (१) निरस्थि द्रव्य, ला० । फा० ई०२ भा० । मेमो०। बीजशून्य । च० चि०१०। (२) लम्ब अकोलिया सैन्टोलोना-achillea santo. कर्णहीन मध्यम अश्व, यथा-"लम्बकणोऽजटश्चैव linal, Linn-ले. वरिञासिफ़-फा० । अकुलः परिकीर्तितः। जय०६०। (३) फा० इं०२भा० कुल रहित, परिवार विहीन । जिसके कुल में कोई अकीलीइक एसिड achilleic acid-इं० न हो। (४) बुरे कुल का । अकुलीन । नीच बरिआलिफ़ या विषका तेज़ाब (Aconitica कुल का । acid) फा० इं०२ भा०। अकुलाना akulānā-हिं० क्रि०अ० [सं० श्राकुअकोलोईन achilleine-इं. यह अकीलिया लन ] (१) व्याकुल होना, व्यग्र होना। मॉस्केटा द्वारा निर्मित एक क्षारीय सव है। फा० (२) विह्वल होना, मग्न होना, लीन होना, इं०२ भा०। श्रावेग में प्राना। अकीलोन achill-in-इं० रनाभायुक्न धूसर अकलिनो akulini-हिं० वि० स्त्री० [सं० वर्ण का सत्व जो बरासिफ द्वारा प्राप्त होता __ अकुलीना ] जो कुलवती न हो, कुलटा, व्यभिहै । फा० इं०२भा०। चारिणी । अकीलीस aqilis—यु० रञ्जमिश्क,रामतुलसी, अकलीन akulina-हिं० वि० [सं०] बुरे कुल अम्बल ( Ocimum gratissimum का, नीच कुल का, तुच्छ वंश में उत्पन्न, कमीना, Linn.)-ले० । खुद्र। अकीसून aqisun-यु० एक अप्रसिद्ध करटकमय अकुलबलसाँ aqulla-balasan-अ० रोगने बूटी है जो बादावर्द के सदृश होती है, और बलसाँ-फा० । बलसों का तेल-हिं०, द०। इन्दलुस (Spain ) में उत्पन्न होती है। Balsamum, var.of ( Blasam of अकुजीमडु akuji madu-ते. थूहर, सेंहुड़, Necca or Balm cf Gilead.)-ले०। (Euphorbia Nerifolia, Linn.) aigaie a quvoyalá-samún-zo इं०मे० मे०। दोह नुल बलसाँ, रोग़ने बलसाँ-फा० । बलसाँ अकुप् akup-फा० मुख के भीतर, मुख की नाली का तेल--हिं०, द०। ( Balsamum) . ((Esophagus) नोट-यद्यपि उपयुक्र शब्द वस्तुतः बालसम अकुप्यम् akupyam-सं० क्ला० स्वर्ण, सोना 14 ARI ( Balsam of Mecca ) * gold (Aurum) हला० । पर्याय है, पर वे भारतीय अाइल श्राफ कीपैया अकु (-क.) मालो aqu,-qu-mali-अ० मा- (Oil of Copaiba India) के लिए उल अस्ल । शहदजल, शहद का पानी या अन्य भी प्रयक होते हैं। स० फा०1०।। For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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