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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मसरोवा ५६३ जातीय वृक्ष से प्राप्त होता है और ब्राज़ील में चिरकाल से कतिपय स्वग्रोगों में प्रयुक्त होता रहा है। इसके कुछ ही समय पहिले कलकत्ता के डॉक्टर फेयरर ने सिरका या नीबू स्वरस संयुक्त गोश्रा पाउडर कल्क के प्राक्कथित श्रौषधीय उपयोग विषयक गुण की ओर चिकित्सकों का ध्यान आकृष्ट किया । ऐसा प्रगट होता है कि उनके लेख ने डॉ० डा० सिल्वा लाइमा महाशय का भी ध्यान उक्त विषय की ओर आकृष्ट किया । माननीय ई० एम० होम्स ने बतलाया कि वह काष्ठ जो गोधा पाउडर से प्राप्त होता है वह ( Coesalpinia echinata, Lam.) के बहुत समान है; परन्तु जे० एल० मेकमिलन मे बतलाया कि उक्त काष्ट से जल रञ्जित होजाता है और यह बात अरारोबा में नहीं है। 1 सन् १८७८ ई० में सी० लीवरमैन तथा पी० सीडलर ने प्रगट किया कि क्राइसारोबीन (=30 २५ ७) प्रभीतक एक अज्ञात क उद ऊ यौगिक है तथा ऐटफील्ड द्वारा निवेदित नाम को ही आपने स्थिर रक्खा | सन् १८७६ ई० में अरासेवा का प्रा'स स्थान एसडी अराशेबा ( Andira Araroba Aguiar. ) स्थिर किया गया । यह वाहिया के वनों में सामान्य रूप से होने वाला एक बृहत् वृक्ष है जिसे वहाँ के लोग ऐजेलीम अमरगोले ( Angelim amargoso ) कहते हैं । श्रारोबा तने के छिद्रयुक्त खोखले भागों में रहता है । ये तने में चौड़ाई ( व्यास ) की रुख चार-पार तक रहते और सम्पूर्ण तब्रे के बीच प्रसारित होते हैं । प्राशि-विधि - वृक्ष को काटकर तथा तने को चीर फाड़ कर खोखलों से सरोबा चूर्ण को खुरच लेते हैं। इसे लकड़ी के टुकड़ों या देशों आदि से स्वच्छ करके तथा शुष्क कर चूर्ण कर लेते हैं। लक्षण - यह एक खुरदरा चूर्ण' अथवा सूक्ष्म बिकम का है जो धारम्भ में हलका पीतवर्ण का, परन्तु प्रकाश एवं नमी में खुला रहने पर साधारणतः गम्भीर वर्ण से मन्द पीत, पीत-धूसर अरारोगा या अम्बरी धूसर अथवा गम्भीर - बैंगनी व का हो जाता है । स्वाद - तिक्र । ( डाइमॉक ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यह क्राइसारोबीन के निर्माण में प्रयुक्त होता है । यदि इसको उष्ण कोरोफॉर्म में मिलाया जाए तो कोरोफॉर्म द्वारा वाष्प उड़ जानेके पश्चात् उक्त चूर्ण में से न्यनातिन्यून ५००/ क्राइसारोबीन प्राप्त होना चाहिए । 0 क्राइसारोबीन (Chrysarobin ) - इं० । क्राईसाबीनम् (Chrysarobinnm ले० । निर्माण विधि - धरारोबा ( गोधा पाउडर ) को उष्ण झोरोफॉर्म वा उध्याबेजीन के साथ एक्सट्रैक्ट करके शुष्क होने तक वापीभवन क्रिया कर इसे चूर्ण कर लें । उ रासायनिक संगठन ( या संयोगी श्रवयव) इसमें (१) क्राइसारोबीन ( क१५ १ २ ३ जिसका रहीईच या क्राइसोफ़ीन भी कहते हैं। (२) क्राइसोफेनिक एसिड, अवस्था और दशानुसार यह न्यूनाधिक होता है; श्रोषजनीकरण क्रिया द्वारा अधिक क्राइसोफेनिक एसिड प्राप्त होता है। एलेन ( Allen ) के मतानुसार क्राइसोफेनिक एसिड, एसिड और क्राइसारोबीन का एक निश्चित मिश्रण है। इसमें विकरिक एसिड तथा अन्य पीत रञ्जक पदार्थ का मिश्रण किया जाता I नोट - श्ररारोबा या गोश्रापाउडर से ५५ से ८० प्रतिशत और औसतत् ७१ प्रतिशन् फ्राइसारोवीन प्राप्त किया जाता है । लक्षण - क्राइसारोबीन एक स्फटिकक्स् पीत व का चूर्ण है जो गंधरहित और जल में प्रविलेय होने के कारण स्वाद रहित होता है। 1 घुलनशीलता- -यह जब में लगभग अविलेय, मद्यसार में कुछ कुछ विलेय तथा एमालिकअलकोहल, ईभर, कोलोडियन तथा क्रोरोफॉर्म में पूर्णतः विलेय होता है । ३२३.६ जाता है और For Private and Personal Use Only फ़ारनहाइट के उत्ताप पर यह पिघल कि ऊ फलित भी होता है।
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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