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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir স্থলা ५६७ अरणिका' . ऐसा घोड़ा ऐबी माना जाता है । (२) नीच | हयात्, हेमसागर हिं०, बं० । ( kalnchoe जाति का पुरुष । (३) वर्ण' शंकर ।। laciniata, P. C.) फा० ई० १ भा० । वि० (अ०) नीच। | अरण मरम् arana-maram-मल० तून । अरर्जा āaraja-अ. चखं, आकाश, श्रास्मान ।। (Cedrela toona, Roxb.) ई० मे० (8ky.) मे० । स० फा० ई० । ई० मे० लां०। अरजान ara jana-बरब० बरबरी बादाम का प्ररणा arana--हिं० पु, स्त्री० (१) जंगली वृत्त। भैंसा । ( A wild buffalo.)। (२) अरजालून arajālān-बरब० फाशरा, शिव कण्डा, जंगली कण्डा, अरना। (Cowdung för att i ( Bryonia laciniosa ). found dried in the forest.). अरजा araja-सं० स्त्री. धृतकुमारी, घीकुपार । अरणिः aranih-सं० ० । (१) एक ( Aloes Barbadensis. ) अरजुन arajuna हिं० संज्ञा पु० [सं०] दे० अरणि arani-हिं० संवा स्त्री० । प्रकार का वृक्ष अजुन । ( Terminalia Arjuna). गनियार । अँगेथू । क्षुद्राग्निमंथ वृक्ष । छोटी अरणी का वृक्ष, कुण्डली, अरणी-हिं०, सं० । अरटी arati-सं० स्त्री० छोट गणिर-बं० । ( Cleredendron अरटीपण्डु arati pandu-ते. ( केला, Inerme.) वा०टी० १५ १०; हेमो० अरटीचे arati-chettu-ते. कदली वीरतादि । अरणिहिमन्धेना द्वयोनि-हि० । अमटचेटु, अरिट चेह-ते. । मथ्यदारुणि । मे० णत्रिकं । (२) श्योणाक, (Musa sapien tum, Linn.) स० सोनापाठा, अरलु ( Oroxylum Indiफा० इं०। cum, Vent. ) । (३) चित्रक वृक्ष, चीता अंरटुंः aratuh-सं० पु अरलुवृक्ष, सोनापाठा, ( Plum bago Zeylanica.)। (४) श्यो(णा)नांक । श्योणा गाछ-बं० (Oroxy- सूर्य ( The sun.)। ५) अग्न्युत्पादक ]um indicum, Vent.) अ० टी०।। काष्ठयन्त्र | काs का बना हुआ एक यन्त्र जो भरटुपर्णः aratu-purnah-सं० पु. यह यज्ञों में भाग निकालने के लिए काम पाता है। चिरस्थायी वृक्ष है । अरटुपर्ण नामक वृक्ष । इसके दो भाग होते हैं-अरणि वा अधरारणि अथर्व० । सू०१३ । १५ । का० २० । और उत्तरारणि । यह शमीगर्भ अश्वत्थसे बनाया अरडी aradi-नेपा० कचैटा-हिं० । अग्लागल, जाता है । अधरारणी नीचे होती है और उसमें किंगली । ( Mimosa rubicaulis.) एक छेद होता है। इस छेद पर उशरारणी खेड़ी मेमो०। करके रस्सी से मथानी के समान मथी जाती अरडसी aradāsi-गु० अडूसा, वासक | है। छेद के नीचे कुश वा कपास रख देते हैं (Adhatoda vasica, Nees. ). जिसमें भाग लेग जाती है। इसके मथ ने के अरणः aranah-सं० पु. (१) चित्रक वृक्ष, समय वैदिक मंत्र पढ़ते हैं और ऋविक लोग चीता । ( Plumbago zeylanica.) ही इसके मथने आदि का काम करते हैं। यज्ञ में वैनिक । (२) गंदा, मलिन | अथर्व० सू० प्रायः अरणी से निकली हुई आग ही काम में २२ । १२ । का० ५। लाई जाती है । अग्नमंथ । औरण तन्दिग भूकस arara-tandig-bh- अरणिका aranika-सं० स्त्री० अग्निमथ वृक्ष, ikas-बम्ब० भूतफल-सं० । बकरा-यू० पी० ATTIT I(Clerodendron Inerme. ) वी० । मिरन्दुप-अध० । मेमो० । वा० सू० १५ अ० वेलन्तरादि व०। “वेल्लन्त. अरणमरण arana-marana-मह० ज़ल्म- | रारणिरुवूक वृषाश्य भेद... ... ... ।" For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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