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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंयोरजादि लेपः ५६२ अंथ्यो के साथ चाटने से कामला दूर होता है । वृ० २६ वा, ३० वा, ३२ वा, ३३ वा, ३५ वाँ, नि० र०। ३६ वा, ३८ वा, तथा ३६ वा। किन्तु, शेख ने अयोरजादि लेपः ayorajādilepah-सं० प. निम्नलिखित रोगों को अय्याम गैर बा हरिथ्यह (१) लोह चूर्ण, कसीस, त्रिफला, लवंग और माना है-पहिला, दूसरा, दसवाँ, बारहवा, दारु हल्दी का लेप करने से नवीन त्वचा का रंग पन्द्रहवा, सोलहवा, तथा बीसा । पूर्ववत् हो जाता है। (२) लोहचूर्ण, काला अय्याम् बा हरिय्यह. ayyam-bāhāriyyah तिल, सुरमा, वकुची, प्रामला इनको जलाकर अय्याम् बुह रान ayyam buhran-अ. वह भांगरे के रस में पीसकर लेप करने से किलास दिवस जिनमें बुह रान ताम उपस्थित हो । वे कुष्ठ ( तांबे के समान रंग वाले कोढ़, श्वेत कष्ठ निम्नांकित ११ दिवस हैं। इनमें नवीन रोगों का भेद ) का नाश होता है। इसे जिस स्थानपर का बुह रान उपस्थित होता हैलगाना हो पहले खुजलाकर लेप करना चाहिए । अयः पान ayah-pana-सं० की द्रवीभूत | ___ चौथा, सातवा, चौदहवा, बीसा, इकोसा, तप्त लोहे का पान, अयस्पान । नर्कमें तप्त लोहे चौबीसवा, सत्ताईसवा, इक्तीसा, चौतीसा, का पान करने को कहा है। . सैतीसवा, तथा चालीसा । किसी किसी ने अयःपिण्ड ayah pinda-हिं० पु. लौह पिंड, प्रथम व द्वितीय दिवस की भी अय्याम् बह रान: लोहे का गोला। में गणना की है। पुरातन रोगों का सर्व प्रथम बुह रान चालीसवें दिन उपस्थित होता है। प्रयः शूल ayah-shula-हि.स (१) एक अस्त्र । (२) तीव्र उपताप । अय्याम् वाकुअफिवस्त ayyam-vaqaa fil: भयोवस्तिः ayo-vastih-सं० पु०, स्त्री० vast-अ० मध्यकाल जो न बा हरी (बुह रान वस्तिकर्म विशेष (A kind of enema काल) हो और न इज्ज़ारी (बुहरान सूचक दिवस) ta.)। यथा-"एरण्डमूलं निःक्वाथ्य मधुतैलं किंतु किसी घटना या प्रतिद्वन्दिता के कारण ससैन्धवम् । एष युक्त अयोवस्तिः सवचापिप्पली इनमें बुह रान गैर ताम उपस्थित हो | वे छ: फलः ॥" भा०। दिन हैं, यथा-३ रा, ५ वा, ६ घा, ११ वा, अयम ayma-ता० देखो-अयम् । १३ वा, और १७ वा, इन दिनों में कभी बुह रान उपस्थित होता है और कभी नहीं। जिन दिनों अय्याम् अन्चल ayyan.avva]--अ० रोगारम्भ काल अर्थात् प्रारम्भ रोग से तीन दिवस । में बुह रान नाक़िस (अपूर्ण ) होता तथा दुःख व चिन्ता होती है, वे निम्न ८ दिवस है, यथाअय्याम् इन्जार ayyam-inzar-अ० बुष्ह रान ६ वा, ८ वा, १० वा, १२ वा, १५ वा, १६ वा, की सूचना देने वाले दिन । इन दिनों में विशेष १८ । और १६ वा । प्रकार के परिवर्तन पाए जाते हैं जिनसे यह सूचित होता है कि उक्त रोग का अमुक दिवस | अय्यिम् ayyim-अ० - विधवा या राँड स्त्री बु.ह रान होने वाला है, यथा-नवीन रोगों में अथवा डुश्रा पुरुष, अविवाहिता स्त्री वा पुरुष । प्रथम दिवस परिपक्वता (नु माज) के प्रभाव का ___इसका बहुवचन प्रयामा हैं। नन् (Nun ) प्रगट होना चतुर्थं दिवस बुह रान उपस्थित होने की सूचना देता है। अय्यी aayyi-० रुक रुक कर बात करना, अय्याम् गैर बा हरिय्यह, ayyam-ghair- बातचीत में रुकावट होना, आजिज़ हो जाना, bāhāriyyah-१० वह दिवस जिनमें किसी वस्तु को न जानते हुए उसकी बातचीत से बुह रान उपास्थत नहीं होता | वे निम्न तेरह दिवस अवाक रहना, अय्यी तथा सिहत का भेद देखोहे-२२ वाँ, २३ वॉ, २५ वाँ, २६ वाँ, २८ वाँ, । सिहत में। For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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