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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अम्लिका अम्लिका purpure:, Roxb. or Garcinia indica, Chois.)। विस्तार हेतु देखो-वृक्षाम्ल (अमसूल)। रासायनिक-संगठन-तिन्तिड़ी-फल-मज्जा में तिन्तिडिकाम्ल ( टार्टीरिक एसिड ) ५%, निम्बुकाम्ल (साइट्रिक एसिड), सेवाम्ल (मैलिक एसिड ), तथा शुक्काम्ल (एसेटिक एसिड ), पांशु तिन्तिड़ित ( टार्गेट ऑफ़ पोटासियम) ८% शर्करा २५०/० से ४०%, निर्यास और पेक्टिन प्रभृति होते हैं । बीजस्वक, (Testa) में कषायीन (टैनिकाम्ल ), एक स्थिर तेल तथा अविलेय पदार्थ होते हैं। बीज में ऐल्ब्युमिनॉइड्स, वसा, कबोज ६३.२२ °/on तन्तु और भस्म जिसमें स्फुर एवं नत्रजन प्रयोगांश-- फल (पक्क व अपक्क), मजा, बीज, पत्र, पुष्प, त्वक्, स्वभस्म क्षार। औषध-निर्माण-अम्लिकापान, अम्लिकावटक (भा०), पत्रक्वाथ-मात्रा-५ से १० तो०, स्वक्षार-मात्रा-आध पाना से एक पाना भर । इमली के गुणधर्म तथा उपयोग श्रायुर्वेदीय मतानुसार-अमली अत्यन्त खट्टी, पित्तकारक, लघु, रक्तजनक, वात प्रशामक और परम वस्तिशोधक है। पली अमली मधुराम्ल, भेदक, विष्टम्भी और वातनाशक है। त्वक् भस्म कषेली, उष्ण, कफघ्न और वातनाशक है। (धन्वन्तरीय निघण्टु) श्राम तिन्तिड़ा ( कच्ची इमली) अत्यन्त खट्टी और पक्की इमली मधुराम्ल ( खटमिट्ठी), वातघ्न पित्त, दाह, रक्क तथा कफ प्रकोपक है। इमली की कच्ची फली अत्यन्त खटी, लघु और पित्त. कारक है । पक्व फल स्वादाम्ल, भेदक तथा विष्टम्भ और वातनाशक है । अम्ल, कटु, कघाय, उष्ण तथा कफ व अर्श का नाश करने वाली है और वात, उदररोग, तृष्णा, हृद्रोग, यच्मा, अतिसार तथा व्रण की नाशक है। रा०नि० व०६। पक्क चिश्चाफल रस (पक्क अमली का रस)-मधुराम्ल ( खटमिट्ठा), रुचिकारक, शोफ पाककर ( सूजन को पकाने वाला) और इसका प्रलेप वणदोष विनाशक है। अमली के पत्र शोफघ्न, रक्तदोष तथा वेदनानाशक हैं । इसके शुष्क त्वक् का क्षार शूल तथा मन्दाग्नि नाशक है। रा०नि० व. ११ । अपक्व अमली गुरु, वातहर, पित्त, कफ और रन, नाशक है । पक्क रेचक, रुचिकारक, अग्निप्रदीपक और वस्तिशोधक है। शुष्क हृद्य, लबु, श्रम, भ्रान्ति, और पिपासाहर है । मद० व०६। ... श्राम खट्टी, गुरु, वातनाशक, पित्तकर्ता, कफवर्द्धक और रक्कदोषनिवारक है। पकी इमली अग्निप्रदीप्त कर्ता, रूक्ष, सर ( दस्तावर ) गरम और वातश्लेष्मनाशक है । भा० पू०१ भा०। श्राम ( कच्चीइमली ) वातनाशक, उष्ण और अत्यन्त भारी है। पक्क लघु, संग्राही है तथा ग्रहणी और कफवातनाशक है । मद० २०६। अमली के पक्व फल के गुण में वृक्षाम्ल फल से थोड़ा अन्तर है । (चरक सू० २७०) इमली का फूल (चिच्चा पुष्प) कषेला, स्वाद्वम्ल और रुचिकारक, विशद, अग्निजनक, लघु तथा वातश्लेष्मनाशक और प्रमेहनाशक है। पत्र शोथहर है । नूतन इमली वात श्लेष्मकारक और वही वार्षिकी अर्थात् एक वर्ष की ( पुरानी ) वातपित्तनाशक है । ( निघंटु रत्नाकर) तिन्तड़ी के वैद्यकीय व्यवहार हारीत-शोथ पर तिन्तड़ी पत्र-तिन्तिड़ी पत्र द्वारा सिद्ध किए हुए अत्युप्ण जल में वस्त्रखंड भिगोकर किंवा पिसे हुए तिन्तिड़ी पत्र के उष्ण पिण्ड द्वारा शोथ को स्वेदन करें। यथा"संस्वेदन क्रिया कार्यासा कार्या च पुनः पुनः * अथवा तिन्सिड़ीच्छदैः" । (चि०२६ अ०) चक्रदत्त-श्ररोचक में तेतुल-(१)पकी इमली के शर्बत में गुड़ मिलाकर, मधु एवं दालचीनी, इलायची तथा मरिच चूर्ण द्वारा सुगन्धित कर मुख में इसका कवल धारण करने से अभक्त For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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