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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमोनियाई कायनास ५०६ अमोनियाई कार्य नास समान ही इसके प्रभाव होते हैं, तथापि अमोनिया कार्बोनेट का बहिर प्रयोग नहीं होता। परावर्तित क्रिया के लिए स्पिरिटस अमोनिया ऐरामैटिक सुंघाई जाती है। (अान्तरिक ) अमोनियम कार्बोनेट में वे | सभी प्रभाव वर्तमान होते हैं जो लाइकर अमोनिया में हैं। इसके अतिरिक्त यह सराक सोत्ते. ज्य कफनिस्सारक ( लगभग ८ ग्रेन की मात्रा में भली प्रकार जल मिश्रित कर देने से ) है। अतएव कास, प्रातिश्यायिक फुप्फुसौप में यह एक अत्युत्तम औषध है । अमोनियम कार्बोनेट ३० ग्रेन की मात्रा में वामक है, किन्तु इस प्रयोजन हेतु क्वचित ही उपयोगमें पाता है। अधिक मात्रा, उदाहरणतः २० से ३० ग्रेन में देने से यह रेचक प्रभाव करता है अर्थात् इससे विरेक पाने लग जाते हैं। कभी कभी छोटी मात्रा में अधिक समय तक निरमार देते रहने से भी यह पात्र में क्षोभ उत्पन्न करता है । अस्तु, ऐसे कास रोगीको जिसको विरेक भी पाते हैं, अमोनियम काबो नेट नहीं देना चाहिए। लाइकर अमोनियाई एसिटेटिस पोर लाइकर श्रमोनियाई साइट्रेटिस दोनों स्तेदक हैं (बालकोंके ज्वर की सम्पूर्ण दशाओं में यह विशेष कर लाभप्रद है)। सम्भवतः स्वेदोत्पादक ग्रंथियों की सेलों पर अथवा उन ग्रंथियों में अंत होने वाले वाततन्तुओं पर उनका प्रभाव पड़ने से स्वेद पाता है। परन्तु ज्ञात होता है कि लाइकर अमोनिया एसिटेटिस का अधिक शक्तिशाली प्रभाव होता है । यदि रागी को शीतल स्थान में रखा जाए अर्थात् उसके शरीर को शीतल रखा जाए तो फिर वृक्क पर एकत्र हो कर ( संगठित रूप से ) उनका प्रभाव होता है, जिससे अधिक मूत्र आने लगता है। अस्तु, प्रागुक्क प्रभावों के अनुसार उनको ज्वरों में ऐसे अल्पस्वेदक रूप से, जिनसे निर्बलता न हो, प्रयोग करते हैं। अधिक मद्यपान जनित प्रभावों को व्यर्थ करने के लिए भी उनको बर्तते हैं। अस्तु, सुरा की शीशी (wine glassful) की मात्रा में सेवन करने से मदात्यय के प्रभाव को नष्ट करने में यह (एसिटेट श्रॉफ अमोनिया सोल्युशन ) विलक्षण प्रभाव करता है अथवा प्रारम्भ में काबो नेट को एक चाय की चम्मच भर एक शीशी सिरके में मिलाकर देने से भी वैसा ही प्रभाव होता है। यह यरिया की शकल में मूत्र द्वारा, बिना उसके क्षारत्व को बढ़ाए, उत्सर्जित होता है। अमोनिया के प्रयोग की सर्वोत्तम विधि, उसको ऐरोमैटिक स्पिरिट ऑफ अमोनिया और लाइकर श्रमोनी की शकल विशेषतः प्रथम रूप में देना है। उनमें सदा स्वतंत्रतापूर्वक जलमिश्रित करलें । कुश्ना के विचारानुसार इन योगों का भामाशय के धरातलपर उरोजक प्रभाव होकर परावर्तित रूप से हृदय पर प्रभाव होता है। कार्बोनेट श्राफ अमोनिया स्वतंत्र गैसों (वायव्य) की तरह प्रभाव करता है। लगभग ग्रेन की मात्रा में भली प्रकार जल मिश्रित कर देने से यह साांगिक व्याप्तोत्तेजक है और समग्र ज्वरजन्य कायशैथिल्य की दशाओं में इसका प्रत्युत्तम प्रभाव होता है । मसूरिका ( मीज़िल्स) और रकज्वर ( स्कारलेटिना ) में इसका प्रयोग करने से कभी कभी अत्यन्त संतोषदायक परिणाम निष्पन्न हुए हैं। इससे तापक्रम भी कम हो जाता है। स्थानिक उपयोग से जिस प्रकार ततैया के दंश और कीट दष्ट में यह विषघ्न प्रभाव करता है। सम्भवतः उक्र दशाओं में यह दृषित विषों को नष्ट कर अपना प्रभाव करता है। अमोनिएकल ब्रेथ सहित टाइफाइड (प्रांत्रसन्निपात ज्वर ) की दशा में यह निष्प्रयोजनीय है। सर्प दष्ट में इसके अन्तःक्षेप की उपयोगिता सन्दिग्ध है। (ह्वि० मे० मे०)। नोट --- काबा नेट अाफ़ अमोनिया को दुग्ध, शर्बत (प्रपानक) या पानी में भली प्रकार विलीन करके बर्तना चाहिए। For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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