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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकासुलमलिक अकर्णः मयुक वर्ग पौधा वा माड़ी जो पंजाब, सिंध और अफगा. (N. (). Sepolucer.) निस्तान प्रादि देशों में होती है। पुनीर के बीज उत्पत्ति स्थान-पश्चिमी द्वीप तथा भारत वर्ष के -हिं० । कञ्ची-पं०। प्रालिश-युor it haria अनेक भागों में इसको लगाते हैं। (Puneeria) Coagulans. ई० मे० इतिहास व प्रयोगादि-पश्चिमी किनारों तथा मे० ० इं० २ भा० । स० फा० इं० ।' बंगाल में फल के लिए इसके वृक्ष लगाए जाते अकरोतस-मातस amritas-matas-यु० गुलेहैं और फन बाजारों में विक्रय हेतु लाए जाने ! ऊलीकुल कुद्स। हैं। भारतवर्ष के अन्य प्रान्तों में यह कम अकरुजत aakarlim..ait-अ० तेल या जैतून होता है। पश्चिमी द्वीप एवं अमरीका में इसकी तैल की तलछट । सेडिमेण्ट (Sediment)छाल बल्य तथा चरन प्रभाव के लिए प्रयोग में लाई जाती है। इसका बीज तीन रत्ती की अकरूट akut-बं० अखरोट Malnut(Jugनात्रा ( अधिक परिमाण में यह विषैला प्रभाव lans regia, Linn.) उत्पन्न करता है ) में मूत्रल है। भारतीयों में श्रकरुलबहरakul-bahar-अ० मोथा के इसके फल की बहुत प्रसिद्धि है। उनका कथन है .. सदृश एक जड़ है जिसको लैफूलब हर भी . कहते हैं। कि यदि इसके फल को पिघले हुए मक्खन में रात्रिभर गिो रक्खा जाय और प्रातःकाल अकरूस aqrus-यु० अकसूस, मवेज़ज अस्ली सेवन किया जाय तो यह पित्त एवं ज्वर संबन्धी के नाम से प्रसिद्ध है। अकोट akot-३० अाक्रमणों से सुरक्षित रखता है। (डाइमाक) अखरोट Jug. वानस्पतिक वर्णन-इसको त्वचा रक्रवर्ण की Arie akarottii-710 i lans regia, होती है। ऊपरी भाग धृमर वर्ण का होता है । Linn. ( walnut) स्वाद -निक और अत्यन्त कसेला । अकरोफ़ल aka rofas-य० हौज़ रूमी । फल-बाहरसे खरदरा और अंडाकार भीतर से अकगः aaroh- पु० अखगेट पीतामायुक्र श्वेत, नर्म और गृदादार-और पकने (Juglans regia, Linn. ) पर इसका स्वाद सेव के समान होता है । बीज अकरोहक akalohak-फा अञ्जरूत (Asकाले रंगके चमकीले अंडाकार और लम्बे होते हैं। tragalus Sarcocolla, Dymock.) फा० इ०। रसायनिक संगठन-(१)दो रेजिन (Risins) | अकरीट akaloint-हिं जिनमें से एक ईथर में घुल जाता है, (२)कया अखरोट,अक्षोट यीन (Tanmin.) १३ प्रतिशत, और | अकरीट akaroutu-ते. | Walnut अकरोड akarond-मह० (३) एक ज्ञारीय सन्त्र सैपोटीन(Sa potine) ।। }(Juglans | regia, अकरौडुakaroudu-कना० ) जो ईथर, मद्यसार और सम्मोहिनी (Chloro Linn.) form) में बुल जाता है; तथा एमोनिया द्वारा अकर्कर: akarkaah । सं० पु० अकरकरा अपने लवणों से भिन्न होकर तलस्थायी हो जाता अकलकरः akalkarah ) ( Pyrethrum है । ई० मे० प्ला०; फा० इं० २ भा० । ___Radix ) गुणधर्म-उष्णवीर्य, बलकारक और - कटु तथा प्रतिश्याय शोथ और बात नाशक है। अकरा सुलमलिक flasul-malik-अ० एक हिन्दी बूटी का नाम है। कोई कोई जैनफल को वै० निघ०। कहते हैं। अकर्णः akarnah-सं० त्रि० (3) Devoid अकरा Akali-हिं०, (१) Dumal (seeds of ears, deaf बहरा, बूचा, बधिर-हिं० । .. of-) अँकरी । (२) एक असगंध की जाति का हे०च०। (२ ) कान रहित (Destitute of For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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