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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमलतास . ४७६ अमलतास (ईषद्गोल ) ३ तो०, इन सम्पूर्ण औषधों को ३ सेर पानी में क्वथित करें। जब तीसरा भाग रह जाय तब उतार कर साफ करलें । फिर ३ तो० अमलतास घोलकर दुबारा साफ करें । पुनः ३॥ मा० सकबीनज और ६ तो. मिश्री मिलाकर काथ करें। गाढ़ा होने पर रोग़न बादाम या रोग़न बनासह के साथ मईन कर अावश्यकता. नुसार थोड़ी थोड़ी दिन में २-३ बार चाटें । उपयोग-क; शोथ ज्वर, तृषा, जिह्वा की कर्कशता और वक्षस्थ व्याधियों यथा-कास, प्रतिश्याय पार्श्वशूल तथा उग्रफुप्फुसौष प्रभुतिमें लाभदायक है। (४) मुरब्बाए फलस खयार चंबरकच्चा अमलतास जिसमें गंध का प्रादुर्भाव न हुआ हो लेकर उसका छिलका दूर करके फलूस (लुमाय ) निकालें और पान में खाने वाले चूने के पानी में एक दो घटे भिगो रखें। जब लाल हो जाए तब उक्र पानी से निकाल कर दो तीन बार निर्मल जल से धोएँ । फिर मिश्री को गुलाब जल में विलीन करके अग्नि पर रखें। जब चाशनी तैयार होने के निकट पाए उस स. मय उन फलूस खयार शंबर को उसमें डालकर दो तीन उबाल और दें और उतार ले । यदि सुवासित करना चाहें तो किञ्चित् कस्तूरी तथा अम्बर मी उसमें सम्मिलित कर दें। गुण-कोष्टमृदुकर है और अविच्छिन्न बद्धकोष्ट तथा बिट संज्ञक उदरशूल के लिए विशेष कर लाभदायक है। (५) मअजून खयार शंबर - गुलाबपुष्प ७ तो०, सनाय मक्की ७ तो०, सूखी धनियां, रुब्बुस्सूस (सत मुलेली) १ तो०, सैंधव १ तो. इनको बारीक करके पृथक रखलें । निम्न औषधों को २ सेर वृष्टि जल में अहोरात्रि भिगो रखें। अजीर १२ तो०, अननी है तो०, भालूबुखारा ५ तो०, माज़ फलूस खयार शंबर २० तो०, श्रमलतास के अतिरिक शेव औषधों को पादशेष रहने तक क्वथित कर चलनी से चाल लेंतदनन्तर उक्र जल में २. तो० अमलतास भिगोकर | कुछ मिनट तक मन्दाग्नि की उत्ताप देकर उतार ले, और पुनः चलनी से छानकर उपयुक्र बीज प्रभति डाल दें। उस पानी में १ सेर सफेद चीनी मिलाकर गाढ़ा होने तक पकाएँ। फिर उतार कर बारीक की हुई दवाओं को मिलाकर ४ तो. रोगन बादाम मिला दें। ध्यान रखें कि वह अग्नि पर जल न जाए। गुण-कोलञ्जहार तथा प्रान्त्र की रूक्षता के लिए अत्युत्तम कोष्टम कर है । यह मजन प्रत्येक प्रकृति के लिए विशेषकर अर्श रोगी के लिए अत्यन्त लाभप्रद है। मात्रा-४ मा० से मा० तक सोते समय पानी या दूध के साथ सेवन करें। (६) पारग्वध क्वाथ-पीली हड़ का बकला ३ तो० । मा०, भालूबुखारा, उमाव विलायती प्रत्येक २०-२० दाने, मवेज़ मुनक्का, इमली प्रत्येक ५ तो० ॥ मा०, गुलाब, गुले नीलोफर प्रत्येक १ तो. १॥ मा०, बनसा ॥ तो० सबको १ सेर ६ छ० पानी में काथ करें जब १॥ पाव पानी शेष रहे उस समय उतार कर साफ करें। इसमें मरज़फल स खयार शंबर ४ तो० से ७ तो० तक विलीन करके साफ करें और मा० मधुर बाताद तेल सम्मिलित कर पिलाएँ । गण - रेचक है और पैत्तिक ( उष्ण) दोषों को निःसृत करता है। (७) आरग्वध फांट-माज़ फलूस ख़यार शंबर, इमली प्रत्येक ४॥ तो० अालू बोखारा १५ दाना, उन्नाव १० दाना, सपिस्ताँ (लिसोड़ा) २० दाना सब को गरम किए हुए अर्क कासनी श्रावश्यकतानुसार में भिगो दे । प्रातःकाल निथार कर तुरंजबीन, शीर ख्रिश्त प्रत्येक ३ तो० है मा० सम्मिलित कर विलीन करें और स्वच्छ करके रोग़न बादाम तो मिलाकर पिलाएँ। गुण-समग्र उष्ण एवं उग्र पैत्तिक तथा रक्तजन्य रोगों में लाभदायक है और कोड को मृदु कर्ता है। यदि पित्तज कामला ( यर्कान) हो और पित्त की उपवणता हो तो कासनी-पत्र स्वरस ताजा ६ तोले से १२ तो. तक इसी योग में अधिक सम्मिलित करें। For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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