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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रबुनामून । प्रारम्भ में यह माली का काम हृदय में विद्या निच, बिन तुर्खान नाम था । यह खुरासान के फ़ाराव प्रदेश के रहने वाले थे दमिश्क के एक बगीचे में करते थे । पर स्वभावतः इनके से प्रेम था । श्रतएव रात्रि में चौकीदारों के लालटेन की प्रकाश में ये पुस्तकों का अध्ययन किया करते थे । ये अपने समय के अखंड दार्शनिक और संगीत के प्रमुख विद्वान थे । श्रापने १३ पुस्तकें लिखी हैं । ४३० श्रबुनापून abu-námún-यु० क्र.लयहूद (A kind of stone. ) See-qafrul yahúda. अवनास abu-náso पोस्ता ( Papaver somniferum, Roxb.) अबुबकर इब्नबाजह् abu-bakar-ibna-bá jah -अ० इब्नबाजह | See-Ibna-bajah. अबुबकर जकरिया राज़ी abu-bakar-zak riya-rázi - श्र० ज़क्रिया राज्ञी | SeeZakriyá rází. अबुबरा abu-bara - श्र० समूल (--र ) । एक पक्षी है । ( A bird called samūla.) बुबकिया abu-balqiya - यु० सार्वांगिक या व्यापक पक्षाघात | वह पक्षाघात जो मुखमंडल के सिवाय सम्पूर्ण शरीर में हो । पक्षाघात, वातग्रस्तता । जेनरल पैरेलिसिस ( General Paralysis ) -० । अबुमन्सूर abu-mansúr o अबुमन्सूर मुत्रफ़िक बिन अली हरवी ( abu mansur muwaffik bin Haravi ) । इनकी पुस्तक इल्मुल् श्रद्वियह् अपने समय की अत्यंत विश्वसनीय एवं लाभदायी कृति हैं जिसमें बहुत सी भारतीय श्रौषधों का भी वर्णन मौजूद है । इसमें लगभग १०० औषधों का वर्णन विद्यमान है। अबुमर्दान abu-mardán--श्रु० इब्न जुहर | See--Ibn zuhr. श्रबुमल्यून abumalyún- यू० सफेदा, सुपे | White Lead (Plumbi carbonas ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवरस्मा श्रबुमालिक abu-malik--श्रु० गृद्ध, गिद्ध | ( Eagle, a vulture. ) अमिस्टार abu-mistár--श्रुo मद्य, सुरा । ( Wine ). श्रवमुकाबिल abu-mnqabil-अ गाजर 1 ( A carrot. ) बुयुहा abu-yuhá श्र० ( १ ) गिद्ध (A vulture.) । ( २ ) थ ज दहा, अजगर । ( Boa Constrictor.) अनूरस्मा abúürasmá श्र० एन्युरिस्मा Aneu - risma इं० | इनोरस्मा, इनोरज्मा, उमुद्दम । शाब्दिक अर्थ रक्त्रुति अर्थात् रक्त का बहना 1 परन्तु, प्राचीन तिब्बी परिभाषा के अनुसार एक प्रकार का रोग जिसमें श्राघात वा क्षत प्रभृति के कारण त्वचा के नीचे किसी स्थल की धमनी फट जाती है जिससे धमनीसे रक एवं वायु निकल कर त्वचा के नीचे एकत्रित हो जाते हैं और वहाँ एक उभार बन जाता है । उम्र उभार का यह विशेष गुण है कि वह दबाने से दबा रहता है अर्थात् जब उसको दबाया जाता है तब वरीय एकत्रित वायु और रक पुनः धमनियों में लौट जाते हैं । तथा दबाव हटाने से वे पुनः उक्त स्थान में एकत्रित हो जाते हैं । अन्ताकी के वचनानुसार उक्र उभार का प्रादुर्भाव कभी तो शिरा के फटने से और कभी धमनी के फटने से होता है । अतः शिराजन्य उभार में उसका रंग श्यामाभायुक्त (स्याही मायल) और धामनिक में रकाभायुक्र होता है । और इसके साथ ही उक्त स्थल पर शिरास्थित स्पंदन का बोध होता है । अस्तु, शिरा प्रसार काल में यह उभार बढ़ जाता है और शिरा संकोच काल में यह घट जाता है। For Private and Personal Use Only डॉक्टरी नोट - एन्युरिस्मा जिसको इनोरज़्मा भी कहते हैं, वस्तुतः युनानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ धामनिक अर्बुद ( रसौली) है। जिन लोगों ने इसको अबूरस्मा लिखा है वास्तव में उनको उक्त शब्द में सन्देह उपस्थित हुआ है । आधुनिक चिकित्सक ( डॉक्टर ) इस
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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