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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अफ आल तबइय्यह. अपतीमून हैं । अस्तु, मनुष्य शरीर में जितनी प्रकार की -अ० (१) औषध-कार्य-विज्ञान, द्रव्य-गुण-शास्त्र । शक्रियाँ हैं उतनी ही प्रकार की क्रियाएँ हैं। (२) प्रभाव, गुणधर्म । फॉर्माकोलॉजी ( Pha. अफ आल तबइय्यह, afaala-ta baiyyah-ऋ० । rmacology)-इं०। (१) प्राकृतिक शक्रि सबन्धी क्रियाएँ । (२) अफऊमा afauma-अ० चचक्षत । आँख का, एक शरीर के सम्पूर्ण प्राकृतिक कार्य, जैसे-अाहार, प्रकार का भयानक क्षत । पान, सोना, जागना, उठना, बैठना, चलना, अफ़्क़ afq-अ० खतनह करना ( मुसलमानों के फिरना, देखना, सुनना, सोचना, समझना, यहाँ यह एक धार्मिक रसम है जिसमें बच्चे की इत्यादि। शिश्नाग्र त्वचा काटी जाती है)। सर्कमसिज़न अफाल दिमागियह afaala-dimaghiyah (Circumcision)-इं० । -अ० मास्तिक क्रियाएँ, दिमाग़ी काम, जैसे- अफ़कल afkal-अ. मुण्ड, समाज । तिब की विवेक, विचार इत्यादि। परिभाषा में 'कम्पन, कॅप-कपी” को कहते हैं। अफूभाल नफलानिय्यह् afaal-nafsaniyy. राइगर ( Rigor)-ई । ah-अ० मानसिक क्रियाएं, वे क्रियाएँ जो | अफ़कान afkanah-अ० अपूर्ण शिशु ( भ्रूण) मानसिक शक्तियों द्वारा प्रगट होती हैं। अस्तु, जो माता की उदर से गिर पड़े। पञ्च ज्ञानेन्द्रियों की क्रियाएँ, यथा-देखना, अफ़तस aftas-अ० चपटी नासिका वाला। सुनना, स्वाद लेना, सरां करना और सूचना | ( Flat nosed.) . आदि और अन्तःकरण चतुष्ट थ की कियाऐं अफतह aftan-० चौड़ी नासिका वाला। (हवास ख़ासह बातनी के अताल ), जैसे- ( Broad nosed.) .. सोचना. स्मरण रखना और विचार करना आदि अपनीऊस aftiaus )-य० नाइबह, । ति इसी के आधीन हैं। अफ़्तीक़स aftiqus } की परिभाषा में राज. अफूमाल बसोतह afaal-basita h अ० अक्तोऊस aqtiaüs यक्ष्मा (तपेदिक ) को अकाल मुफरदह, अमिश्रित क्रियाएँ, कहते हैं। हेक्टिक फीवर (Hectic Fever) सामान्य क्रियाएँ। अफूमाल मुफरिदह afaal-mufridah-अ. साधारण क्रियाएँ जो केवल एक ही शक्ति द्वारा अपतोमून afti muna-अ० [यू० एपिथिमून ] प्रगट हों, जैसे-चातुपी, जो दृष्टि शक्ति द्वारा हिं॰ संज्ञा पु० अकासबेल विलायती, अमरबेल प्रगट होती हैं और श्रावण क्रियाएँ जो श्रवण शक्ति विलायती हिं० | कस्क्युटा एपिथिमम् ( Cus. द्वारा उद्भूत होती हैं। cuta Epythymum, Linn.)-ले। दी लेसर डॉडर The Lesser Dodder-ई। अफूमाल मुरकबह afaal-murakkabah शत्रूतु जब सबउश्श ई.र--अ०। अतीमूने-अ. संयुक्त क्रियाएँ जो दो अथवा अधिक विलायती- फा० । शियून- तु० । शनियों द्वारा उद्भत हों, जैसे-ग्रास गिलन, जो (..O. Convolvulacece ) कंड को गिजन शनि तथा प्रामाराय की प्राक उत्पत्ति-स्थान-युरोप, पश्चिम एवं मध्य र्षण शक्ति द्वारा सम्पादित होती हैं। एशिया और फ़ारस । नोट-इसमें तथा भारअफशाल हैवानिय्यह afail-haivaniyyah तीय अकाशबेल में सिवाय स्थान भेद के और -अ० प्राणशक्ति सम्बन्धी क्रियाएँ जो प्राणशक्रि कोई अन्तर नहीं है। अतः इसके वानस्पतिक्र द्वारा प्रगट हों, जैसे-हार्दिक एवं धाम निक वर्णन श्रादि के लिए देखो-श्रकाशवेल, गति प्रभृति । रासायनिक संगठन-क्करसेटीन (Quercetअफ्शालुल् अद्वियह afailul-adviyah ' in ), राल, एक तरीय सत्व तथा कस्क्युटीन For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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