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________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अन्योन्याश्रय ३७१ अन्हैलोनियम लीवीनिमाई स्तः । -सं० लो० ( Decussation ) परस्पर एक ! Indica, Roxb. ( Bulb of-Indian दूसरेको पार करना ( काटना )। Squill ) स० फा० इं० । देखो-अरण्य अन्योन्याश्रय anyonyashraya-हिं० . पलाण्डुः । सापेत, परस्परका सहारा | एक दूसरेकी अपेक्षा । । अनसण्डा ansandri-तेल० खार-नैपा०। वेलअन्वय anvaya-हिं० संज्ञा पु० [सं०] [वि० वैलम्-ता०। (Acacia-Ferruginea, अन्वयी] । (१) परस्पर सम्बन्ध, । तारतम्य । D. C.)। (२) संयोग । मेल । (३) वंश । खानदान । अन्सारिशा ansarisha-बं० हुलहुल । प्रादित्यअन्वह anvah-हिं० पु. नित्य, प्रतिदिन । भक्का । ( Cleome Pen taphylla ). ( Every day ). इं.) मे० प्लां। अन्वाम anvāma-अ० (बह० व.), नौम अन्हैलोनियम् an halonium-ले० मस्केल (ए. व०) । निद्रा । नींद। ( Sleep, बटन्स (Muscale Buttons). narcosis, stupor ). अन्हैलोनियम लीवोनिश्राई Anhalonium अन्वाशनम् anvashanam-सं० क्ली० (१) lewinii-ले० । कर्मशाला । हला० । (२) स्नेह बस्ति (N. 0. Cactacea ) ( Oily enemata)। देखो-अनुवासन उत्पत्तिस्थान-वेस्ट इण्डीज़ । वस्तिः । प्रयोगांश-पुष्प । अन्वासन anvasana इंद्रिय व्यापारिक कार्य- इसका प्रारम्भिक अन्वासनम् anvasanam-सं० क्ली० प्रभाव अवसादक होता है। इससे नाड़ी-स्पन्दन अनुवासन, स्नेहवस्ति । ( Oily ene- निर्बल एवं शिथिल होजाता है । (प्रायः ४० प्रति mata ). मिनट से न्यून) और शरीर वाह्य तल शीतल पड़ अन्याहिकः anvahikah-सं० त्रि. प्रात्यहिक, जाता है। प्रहर्षण (या शिश्नोत्थान) बिना प्रति दैनिक, रोजाना । ( Daily, quoti- वीर्य स्खलित होता है । . dian.) उपयोग-सिरिअस (Cereus grandअन्वित anvita-हिं० वि० [सं०] युक्र, मिला iflorus and cereus "cactus" हुश्रा, सहित, शामिल | bonplandii) की अपेक्षा यह कहीं उत्तम हृदोअन्शर anshara-अ० मदार, पाक । ( Ca. त्तेजक तथा उत्तम घन हृदयबलप्रद श्रोषधि है। lotropis gigantea ). उग्र हृच्छूल,फुफ्फुसौष,श्वासावरोध में कदाचित् २ अन्स aansa-अ० अर्जुन । ( Terminalia या ३ बुद इसके तरल सत्वको जब तक कि लाभ Tomentosa or Arjuna ) प्रदर्शित न हो, कभी कभी उपयोग में लाना चाहिए; तदनन्तर बढ़ाने के स्थान में थोड़ी अन्सल aansal -अ० विलायती अन्सलान aansalana jकाँदा । विला मात्रा उपयोग में ला सकते हैं। इसके उपयोग यती जंगली काँदा-हिं० | पियाजे दश्ती-फा० । से उत्थान बिना वीर्य स्खलित होने लगता है। Scilla (Squill ) स. फा० इं० । अस्तु, उक्त अवस्थाओं में इसके विरामरहित देखो-अरण्य पलागडुः । । अधिक कालीन उपयोग से बचना चाहिए। अधिक वातल प्रकृति वाले व्यकियों में इसका अन्सले-हिंदी aansale hindi-अ० काँदा, उपयोग चतुरतापूर्वक करना चाहिए । शिथिल जंगली पियाज़-हिं०। पियाजे दश्तो हिन्दी--फा० (कफ), लसीका या रक्त प्रकृति वालों में यह Urginea Indica, Kunth.: Scilla अधिक स्वतन्त्रतापूर्वक उपयोग में लाइ जा For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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