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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1०ह० व० । ३६३ अन्धसुदर्शक अञ्जनम् अन्य: andhah-सं० त्रि. (१) नेत्रहीन, के स्तर को नहीं पीवे ) तथा अतिसार, खाँसी, अंधा ( Biind)। -को० (२) तिमिर, हिचकी, वमन और ज्वर इनसे पीड़ित हो, वर्ण अंधकार ( Darkness.)। मे० धद्विकं । बिगड़ जाए, सोते समय नीचे को मुख करके (३)(न्धस् ) अन्न। रा०नि०प०२०। सोए, खट्टी खट्टी गंध श्राए, ऐसे बालकको अध ( ४ ) जल ( Vater )। भरतः । (५) पूतना से पीड़ित कहते हैं। भात, प्रोदन, भक्त (Boiled rice )। चिकित्सा-तिक द्रुम अर्थात् निम्बादि तिक वृ०नि० २० कृ०व०।। रसयुक्क वृक्षों के पत्र से सिद्ध किए हुए जल से श्रन्धकः andhakah-सं०पू० तुम्वुरू, धनियाँ। स्नान, सुरादि साधित तेल तथा पिप्पली श्रादि (नेपाली) । (Xanthoxylon natum) द्वारा साधित घृत के उपयोग द्वारा उपयुक्त भा० पू० १ मा० ह० व० । सम्पूर्ण विकार शमन होते हैं। सु० उ० २७ । अन्धकाकः antha-kākah-स. पु. (A | ३३ अ०। bird. ) काकाकार पक्षी । पानकौड़ि-बं० । अन्धमूषा andha-musha-सं० स्त्री० पौषध भेदाजुया-म। त्रिका० । पाकाथ यन्त्र विशेष । इसे वज्रमूषा भी अन्धकारः andha-kārah-सं० पु. अँधेरा, कहते हैं। श्रालोकाभाव ( Darkness )। इसके निम्न विधि-दो भाग तिनकों की भस्म, एक भाग पर्यायवाची शब्द हैं, जैसे-ध्वान्तं, तमिस्र, बाँबी की मिट्टी, एक भाग लोह किट्ट, एक भाग तिमिरं, तमः (१०), भूच्छायं (रा०),अंधतमासं सफ़ेद पत्थर का चूरा और कुछ मनुष्य के बाल पंधतामसं, सन्तमम, श्रवतमसं । गुण- डालें। सब को एकत्र कर बकरी के दूध में भय, दृष्टि, तेज तथा अवरोधकारक और रोग- प्रौटा दो पहर पर्यन्त अच्छी तरह घोटें, पीछे जनक | राज०। उस मिट्टी का गौ के थन के सदृश गोल और नोट-महाअंधकार को अधतमस, सर्व- लम्बी मूषा बनाएँ । पीछे इसका ढकना बनाकर व्यापी वा चारों ओर के अधकार को संतमस धूप में सुखा इसमें पारा भर ढकने से ढक दें और थोड़े अंधकार को अवतमस कहते हैं। और सन्धियों को उसी मिट्टी से बंद करें। यह (२) उदासी । कांतिहीनता । पारा मारने को वज्रमूषा कहा है। इसी को श्रधअन्धकृपः andha-kāpah-सं० पु. (१)| मूषा कहते हैं। र० सा० सं० । कश्चिदत्रिः। मोह ( Loss of consciousness or | अन्धमूषिका andha-mushika-सं० स्त्री० sense)। (२) अधा कुआँ । ( A blind (१) देवताड़ वृक्ष । (See-Devatara)। well) (२) तृण विशेष । ( A grass.) श० च० । अन्धतमस and ha-tamasa-हिं० पु. अत्य अन्धरन्ध्रम् andha-randhram-सं० क्ली० न्त अन्धकार । ( Great darkness ). अन्नपुट छिद्र । ( Foramen cecum). अन्धता andhatā-सं० स्त्री० (१) पित्तरोग अन्धला undhala-1-हिं० वि० श्रचतु, बिना ( Biliary disease ) । वै० निघः। अन्धा andhā- आँख का । ( Blind) (२) अन्धापन । ( Blindness) अन्धपुष्पी andha-pushpi-हिं० संज्ञा स्त्री० अन्धस्थानम् andha-sthānam-सं० क्ली. । अन्धस्थान and hasthāna-हिं० संज्ञा पु. ) अन्धाहुली, अर्क-पुष्पी, अर्काहुली। अँधेरा स्थान । ( Blind spot). अन्धपतना andha-putana-सं०स्त्री० बालक | अन्धसदर्शक अञ्जनम् andha-sudarshaka ग्रहपीड़ा विशेष | इसके लक्षण निम्न हैं, यथा anjanam-सं० क्ली० कृष्ण सर्प १, काले जो बालक स्तन से द्वेष रक्खे (अर्थात् माता | बिच्छु ४ लेकर एक दूधके कलश में २१ दिन पर्यंत For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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