SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 391
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अन्त्य अन्त्रअन्योन्यानुप्रविष्ट अन्य antya-हिं० संक्षा पु० [सं०] शेष का, नीच, अधम जाति, जघन्य । A shudra or man of the fourth tribe ! वि० अंत का। अंतिम । प्राखिरी। सव से पिछला । अन्त्यकोष्टक: antya-koshtakah-सं०५० ( Terminal Ventircle ) sifari कोष्ठ । अन्त्यगण्डः antya-ganduh-सं०पु. (Te Timinal Ganglion ) अंतिम गण्ड । अन्त्यतन्तुः antya-tantuh-सं० ० अन्त्यपुष्पा antya-pushpa-सं० स्त्री० धातकी वृत, धर का पेड़ । ( Anogsissus lati folia) वै० निघ। अन्त्यफलकम् antya-phalakam-सं०क्ली० (Motor end-plate ) अन्त्याङ्गम्।ntyāngam-सं०पु० अंतके यंत्र ।। ( End organ). अन्त्यः antyah-सं०५० मुस्ता, मोथा । (Cy perus rotundus ), अन्त्रम् antram-सं० लो० । प्राणियों के पेट अन्त्र antra-हिं० संज्ञा पु. ) के भीतर की वह लम्बी नली जो गुदा मार्ग तक रहती है । खाया हुआ पदार्थ पेट में कुछ पच कर फिर इस नली में जाता है और मल वा रद्दी पदार्थ बाहर निकाला जाता है। मनुष्य की आँत उसके डील से पाँच व छः गुनी लम्बी होती है। पाय-पुरीतत् (रा. नि. व०१८), प्रांत्र-सं० । अँतड़ी, अंत्र, प्रांत, रोधा, अंत्री -हिं.। मिश्रा (ए० व०), अम्मा (ब० व०), मसा (१०व०), मस्सरीन (ब०व०)-अ०। इन्टेस्टाइन Intestine (ए. व०), इन्टेस्टाइज Intestines (ब० व०); बॉवेल Bowel (ए०व०), बावेल्ज़ Bowels (ब० व०)-इं० । नोट-प्राकार तथा परिमाण के अनुसार प्रातें दो प्रकार की होती हैं (१) छोटी और (२) बड़ी। पुनः इनमें से प्रत्येक के ३-३ भेद होते हैं। देखो-क्ष दांत्र व वृहदांत्र। STEFTITITATE antra-anyonyánupravishta-हिं० संज्ञा पुं० प्रांत का एक भाग से दूसरे भाग में उतर जाना। इस विकार में ऊपर के प्रांत्र का भाग, अधःस्थित प्रात्र भाग के पोले स्थान में घुस जाता है। श्रांत्र के उस भाग को जो प्रवेश करता है प्रवेशक (Intussuceptum) और जिस प्रांत्र के पोले स्थान में वह प्रविष्ट होता है उसको ग्राहक ( Intussucepiens) कहते हैं। प्रान्त्रान्त्र प्रवेश । पर्यायतों में बल पड़ना, प्रांतों में गिरह पड़ जाना। इतिवाउल्लफ़ाइफ, इंलतिवाउल् अम्मा, एलाऊस, कौलङ्ग इतिवाई, मगम रब्ब इम, इनशिसादुल अम्मा , तग़म्मदुल अम्मा-अ० । इन्टस् ससेप्शन ( Intussusception , ईलियस Ileus, वालव्युलस Volvulus, इन्वैजिनेशन In. vagination-इ०। पर्याय-निर्णायक नोट-एलाऊस वस्तुतः यूनानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ बलखाना वा श्रावर्त्तन है। एलोपैथिक परिभाषा में इन्टस्ससप्शन तथा वाल्ब्युलस सामान्यतः स्थूल एवं क्षद्व दोनों प्रकार की आँतों के व्यावतन के लिए प्रयोग में आते हैं। परन्तु, ईलियस मुख्यतः केवल ऊच शुद्रांत के प्रावर्तन के लिए प्रयुक्र होता है। उक्र अन्त्रान्त्रप्रवेशन की क्रिया लघ्वान्त्र और स्थूलान्त्र की सन्धि स्थान में हुआ करती हैं। लध्वान्त्र का भाग स्थूलांत्र के भीतर कभी कभी इतने वेग से प्रविष्ट हो जाता है या खिंचा हुआ चला जाता है कि उसके परत एकदम गुदद्वार के मुख तक पहुँच जाते हैं। कभी कभी लघ्वांत्र का एक भाग उसी के अन्य भाग में प्रविष्ट हो जाता है, इस प्रकार को लघ्वांत्रिक ( Enteric ) कहते हैं। और कभी कभी For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy